Hanuman Bahuk Path in Hindi PDF | हनुमान बाहुक पाठ – स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति के लिए पूज्य हनुमान का विशेष मंत्र

Hanuman Bahuk Path in Hindi PDF | हनुमान बाहुक पाठ – स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति के लिए पूज्य हनुमान का विशेष मंत्र

Hanuman Bahuk Path in Hindi: Exploring the Benefits and Significance of this Sacred Prayer

Get the complete lyrics of Hanuman Bahuk Path in Hindi with our free PDF download. Hanuman Bahuk is a powerful prayer that is dedicated to Lord Hanuman and is believed to bring blessings and protection to the devotee who recites it. Our PDF download makes it easy to access the Hanuman Bahuk Path lyrics in Hindi, whether for personal use or for sharing with others. The lyrics also include the Hindi and English meaning of each verse, making it easy to understand the prayer’s significance.

हनुमान बाहुक पाठ हिंदी में पूर्ण लिरिक्स के साथ अपने लिए या दूसरों के साथ साझा करने के लिए हमारे मुफ्त पीडीएफ डाउनलोड के साथ उपलब्ध हैं। इसके साथ हर छंद का हिंदी और अंग्रेजी अर्थ भी दिया गया है, जो इस प्रार्थना के महत्व को समझने में मदद करता है।

हनुमान बाहुक पाठ – स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति के लिए पूज्य हनुमान का विशेष मंत्र

पूज्य हनुमान जी के बारे में सभी जानते हैं। उनके बड़े भक्त विभिन्न प्रकार की समस्याओं के लिए हनुमान बाहुक पाठ करते हैं। हनुमान बाहुक पाठ को पढ़ने से स्वास्थ्य के साथ-साथ धन की प्राप्ति में भी मदद मिलती है। हम आपको हनुमान बाहुक पाठ की महत्ता और इसका पाठ करने के तरीके के बारे में विस्तार से बताएँगे।

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हनुमान बाहुक पाठ का महत्त्व

हनुमान बाहुक पाठ करने से आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है। इस पाठ के द्वारा आप अपनी स्वस्थता में सुधार कर सकते हैं और साथ ही धन लाभ के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। इस पाठ का प्रयोग लोग समस्याओं से निपटने, आर्थिक समस्याओं का समाधान करने, रोगों के उपचार के लिए करते हैं।

हनुमान बाहुक पाठ करने के तरीके

हनुमान बाहुक पाठ को सबसे अच्छा समय सुबह या शाम के समय में करना चाहिए। इस पाठ को करने से पहले अपने मन में शुद्धता का भाव लाना जरूरी होता है। इस पाठ को करने के लिए आपको समय और स्थान का चुनाव करना होगा। अपनी बैठक या आसन पर बैठें और एक शुद्ध जगह पर ध्यान केंद्रित करें।

हनुमान बाहुक पाठ का तरीका:

  1. आरंभ मंत्र: आप अपने मन में शुद्धता का भाव लाएं और फिर अगले मंत्र का उच्चारण करें।

ॐ श्री गुरुभ्यो नमः।

  1. ध्यान मंत्र: हनुमान बाहुक पाठ के लिए ध्यान मंत्र को जपना जरूरी होता है। इससे आपका मन शुद्ध होता है।

ॐ श्री हनुमते नमः।

  1. हनुमान बाहुक पाठ: अब हनुमान बाहुक का पाठ शुरू करें। यह मंत्र नौ बार पढ़ना होता है।
  2. समापन मंत्र: हनुमान बाहुक का पाठ करने के बाद, इस मंत्र को उच्चारण करना चाहिए। यह ध्यान और आशीर्वाद देता है।

ॐ नमो हनुमते रुद्रात्मकाय हनुमद्वीर निवासाय औषधि विषाहरणाय नवग्रह दशदिकपालकाय सर्वजगद्वशंकराय श्री रामदूताय स्वाहा॥

हनुमान बाहुक पाठ का लाभ:

हनुमान बाहुक पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस पाठ को करने से आपको संतोष, समृद्धि, स्थिरता, और शक्ति मिलती है। यह पाठ आपके रोगों का उपचार करता है और आपको शांति और आनंद प्रदान करता है।

Hanuman Bahuk Hindi Lyrics

छप्पय

सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु ।

भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु ॥

गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव ।

जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव ॥

कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट ।

गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट ॥१॥

स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रवि तरुन तेज घन ।

उर विसाल भुज दण्ड चण्ड नख-वज्रतन ॥

पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन ।

कपिस केस करकस लंगूर, खल-दल-बल-भानन ॥

कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति विकट ।

संताप पाप तेहि पुरुष पहि सपनेहुँ नहिं आवत निकट ॥२॥

झूलना-

पञ्चमुख-छःमुख भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व सरि समर समरत्थ सूरो ।

बांकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो ॥

जासु गुनगाथ रघुनाथ कह जासुबल, बिपुल जल भरित जग जलधि झूरो ।

दुवन दल दमन को कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो ॥३॥

घनाक्षरी-

भानुसों पढ़न हनुमान गए भानुमन, अनुमानि सिसु केलि कियो फेर फारसो ।

पाछिले पगनि गम गगन मगन मन, क्रम को न भ्रम कपि बालक बिहार सो ॥

कौतुक बिलोकि लोकपाल हरिहर विधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खबार सो।

बल कैंधो बीर रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि सार सो ॥४॥

भारत में पारथ के रथ केथू कपिराज, गाज्यो सुनि कुरुराज दल हल बल भो ।

कह्यो द्रोन भीषम समीर सुत महाबीर, बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो ॥

बानर सुभाय बाल केलि भूमि भानु लागि, फलँग फलाँग हूतें घाटि नभ तल भो ।

नाई-नाई-माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जो हैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो ॥५॥

गो-पद पयोधि करि, होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निःसंक पर पुर गल बल भो ।

द्रोन सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक ज्यों कपि खेल बेल कैसो फल भो ॥

संकट समाज असमंजस भो राम राज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो ।

साहसी समत्थ तुलसी को नाई जा की बाँह, लोक पाल पालन को फिर थिर थल भो ॥६॥

कमठ की पीठि जाके गोडनि की गाड़ैं मानो, नाप के भाजन भरि जल निधि जल भो ।

जातुधान दावन परावन को दुर्ग भयो, महा मीन बास तिमि तोमनि को थल भो ॥

कुम्भकरन रावन पयोद नाद ईधन को, तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो ।

भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान, सारिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो ॥७॥

दूत राम राय को सपूत पूत पौनको तू, अंजनी को नन्दन प्रताप भूरि भानु सो ।

सीय-सोच-समन, दुरित दोष दमन, सरन आये अवन लखन प्रिय प्राण सो ॥

दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो, प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो ।

ज्ञान गुनवान बलवान सेवा सावधान, साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो ॥८॥

दवन दुवन दल भुवन बिदित बल, बेद जस गावत बिबुध बंदी छोर को ।

पाप ताप तिमिर तुहिन निघटन पटु, सेवक सरोरुह सुखद भानु भोर को ॥

लोक परलोक तें बिसोक सपने न सोक, तुलसी के हिये है भरोसो एक ओर को ।

राम को दुलारो दास बामदेव को निवास। नाम कलि कामतरु केसरी किसोर को ॥९॥

महाबल सीम महा भीम महाबान इत, महाबीर बिदित बरायो रघुबीर को ।

कुलिस कठोर तनु जोर परै रोर रन, करुना कलित मन धारमिक धीर को ॥

दुर्जन को कालसो कराल पाल सज्जन को, सुमिरे हरन हार तुलसी की पीर को ।

सीय-सुख-दायक दुलारो रघुनायक को, सेवक सहायक है साहसी समीर को ॥१०॥

रचिबे को बिधि जैसे, पालिबे को हरि हर, मीच मारिबे को, ज्याईबे को सुधापान भो ।

धरिबे को धरनि, तरनि तम दलिबे को, सोखिबे कृसानु पोषिबे को हिम भानु भो ॥

खल दुःख दोषिबे को, जन परितोषिबे को, माँगिबो मलीनता को मोदक दुदान भो ।

आरत की आरति निवारिबे को तिहुँ पुर, तुलसी को साहेब हठीलो हनुमान भो ॥११॥

सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँक को ।

देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ, बापुरे बराक कहा और राजा राँक को ॥

जागत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताके जो अनर्थ सो समर्थ एक आँक को ।

सब दिन रुरो परै पूरो जहाँ तहाँ ताहि, जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँक को ॥१२॥

सानुग सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि, लोकपाल सकल लखन राम जानकी ।

लोक परलोक को बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी ॥

केसरी किसोर बन्दीछोर के नेवाजे सब, कीरति बिमल कपि करुनानिधान की ।

बालक ज्यों पालि हैं कृपालु मुनि सिद्धता को, जाके हिये हुलसति हाँक हनुमान की ॥१३॥

करुनानिधान बलबुद्धि के निधान हौ, महिमा निधान गुनज्ञान के निधान हौ ।

बाम देव रुप भूप राम के सनेही, नाम, लेत देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ ॥

आपने प्रभाव सीताराम के सुभाव सील, लोक बेद बिधि के बिदूष हनुमान हौ ।

मन की बचन की करम की तिहूँ प्रकार, तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ ॥१४॥

मन को अगम तन सुगम किये कपीस, काज महाराज के समाज साज साजे हैं ।

देवबंदी छोर रनरोर केसरी किसोर, जुग जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं ।

बीर बरजोर घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु खल गन गाजे हैं ।

बिगरी सँवार अंजनी कुमार कीजे मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाजे हैं ॥१५॥

सवैया-

जान सिरोमनि हो हनुमान सदा जन के मन बास तिहारो ।

ढ़ारो बिगारो मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो ॥

साहेब सेवक नाते तो हातो कियो सो तहां तुलसी को न चारो ।

दोष सुनाये तैं आगेहुँ को होशियार ह्वैं हों मन तो हिय हारो ॥१६॥

तेरे थपै उथपै न महेस, थपै थिर को कपि जे उर घाले ।

तेरे निबाजे गरीब निबाज बिराजत बैरिन के उर साले ॥

संकट सोच सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरी के से जाले ।

बूढ भये बलि मेरिहिं बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले ॥१७॥

सिंधु तरे बड़े बीर दले खल, जारे हैं लंक से बंक मवासे ।

तैं रनि केहरि केहरि के बिदले अरि कुंजर छैल छवासे ॥

तोसो समत्थ सुसाहेब सेई सहै तुलसी दुख दोष दवा से ।

बानरबाज ! बढ़े खल खेचर, लीजत क्यों न लपेटि लवासे ॥१८॥

अच्छ विमर्दन कानन भानि दसानन आनन भा न निहारो ।

बारिदनाद अकंपन कुंभकरन से कुञ्जर केहरि वारो ॥

राम प्रताप हुतासन, कच्छ, विपच्छ, समीर समीर दुलारो ।

पाप ते साप ते ताप तिहूँ तें सदा तुलसी कह सो रखवारो ॥१९॥

घनाक्षरी-

जानत जहान हनुमान को निवाज्यो जन, मन अनुमानि बलि बोल न बिसारिये ।

सेवा जोग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी, साहेब सुभाव कपि साहिबी संभारिये ॥

अपराधी जानि कीजै सासति सहस भान्ति, मोदक मरै जो ताहि माहुर न मारिये ।

साहसी समीर के दुलारे रघुबीर जू के, बाँह पीर महाबीर बेगि ही निवारिये ॥२०॥

बालक बिलोकि, बलि बारें तें आपनो कियो, दीनबन्धु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये ।

रावरो भरोसो तुलसी के, रावरोई बल, आस रावरीयै दास रावरो विचारिये ॥

बड़ो बिकराल कलि काको न बिहाल कियो, माथे पगु बलि को निहारि सो निबारिये ।

केसरी किसोर रनरोर बरजोर बीर, बाँह पीर राहु मातु ज्यौं पछारि मारिये ॥२१॥

उथपे थपनथिर थपे उथपनहार, केसरी कुमार बल आपनो संबारिये ।

राम के गुलामनि को काम तरु रामदूत, मोसे दीन दूबरे को तकिया तिहारिये ॥

साहेब समर्थ तो सों तुलसी के माथे पर, सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये ।

पोखरी बिसाल बाँहु, बलि, बारिचर पीर, मकरी ज्यों पकरि के बदन बिदारिये ॥२२॥

राम को सनेह, राम साहस लखन सिय, राम की भगति, सोच संकट निवारिये ।

मुद मरकट रोग बारिनिधि हेरि हारे, जीव जामवंत को भरोसो तेरो भारिये ॥

कूदिये कृपाल तुलसी सुप्रेम पब्बयतें, सुथल सुबेल भालू बैठि कै विचारिये ।

महाबीर बाँकुरे बराकी बाँह पीर क्यों न, लंकिनी ज्यों लात घात ही मरोरि मारिये ॥२३॥

लोक परलोकहुँ तिलोक न विलोकियत, तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये ।

कर्म, काल, लोकपाल, अग जग जीवजाल, नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये ॥

खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर, तुलसी सो, देव दुखी देखिअत भारिये ।

बात तरुमूल बाँहूसूल कपिकच्छु बेलि, उपजी सकेलि कपि केलि ही उखारिये ॥२४॥

करम कराल कंस भूमिपाल के भरोसे, बकी बक भगिनी काहू तें कहा डरैगी ।

बड़ी बिकराल बाल घातिनी न जात कहि, बाँहू बल बालक छबीले छोटे छरैगी ॥

आई है बनाई बेष आप ही बिचारि देख, पाप जाय सब को गुनी के पाले परैगी ।

पूतना पिसाचिनी ज्यौं कपि कान्ह तुलसी की, बाँह पीर महाबीर तेरे मारे मरैगी ॥२५॥

भाल की कि काल की कि रोष की त्रिदोष की है, बेदन बिषम पाप ताप छल छाँह की ।

करमन कूट की कि जन्त्र मन्त्र बूट की, पराहि जाहि पापिनी मलीन मन माँह की ॥

पैहहि सजाय, नत कहत बजाय तोहि, बाबरी न होहि बानि जानि कपि नाँह की ।

आन हनुमान की दुहाई बलवान की, सपथ महाबीर की जो रहै पीर बाँह की ॥२६॥

सिंहिका सँहारि बल सुरसा सुधारि छल, लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है ।

लंक परजारि मकरी बिदारि बार बार, जातुधान धारि धूरि धानी करि डारी है ॥

तोरि जमकातरि मंदोदरी कठोरि आनी, रावन की रानी मेघनाद महतारी है ।

भीर बाँह पीर की निपट राखी महाबीर, कौन के सकोच तुलसी के सोच भारी है ॥२७॥

तेरो बालि केलि बीर सुनि सहमत धीर, भूलत सरीर सुधि सक्र रवि राहु की ।

तेरी बाँह बसत बिसोक लोक पाल सब, तेरो नाम लेत रहैं आरति न काहु की ॥

साम दाम भेद विधि बेदहू लबेद सिधि, हाथ कपिनाथ ही के चोटी चोर साहु की ।

आलस अनख परिहास कै सिखावन है, एते दिन रही पीर तुलसी के बाहु की ॥२८॥

टूकनि को घर घर डोलत कँगाल बोलि, बाल ज्यों कृपाल नत पाल पालि पोसो है ।

कीन्ही है सँभार सार अँजनी कुमार बीर, आपनो बिसारि हैं न मेरेहू भरोसो है ॥

इतनो परेखो सब भान्ति समरथ आजु, कपिराज सांची कहौं को तिलोक तोसो है ।

सासति सहत दास कीजे पेखि परिहास, चीरी को मरन खेल बालकनि कोसो है ॥२९॥

आपने ही पाप तें त्रिपात तें कि साप तें, बढ़ी है बाँह बेदन कही न सहि जाति है ।

औषध अनेक जन्त्र मन्त्र टोटकादि किये, बादि भये देवता मनाये अधीकाति है ॥

करतार, भरतार, हरतार, कर्म काल, को है जगजाल जो न मानत इताति है ।

चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो राम दूत, ढील तेरी बीर मोहि पीर तें पिराति है ॥३०॥

दूत राम राय को, सपूत पूत वाय को, समत्व हाथ पाय को सहाय असहाय को ।

बाँकी बिरदावली बिदित बेद गाइयत, रावन सो भट भयो मुठिका के धाय को ॥

एते बडे साहेब समर्थ को निवाजो आज, सीदत सुसेवक बचन मन काय को ।

थोरी बाँह पीर की बड़ी गलानि तुलसी को, कौन पाप कोप, लोप प्रकट प्रभाय को ॥३१॥

देवी देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग, छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं ।

पूतना पिसाची जातुधानी जातुधान बाग, राम दूत की रजाई माथे मानि लेत हैं ॥

घोर जन्त्र मन्त्र कूट कपट कुरोग जोग, हनुमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं ।

क्रोध कीजे कर्म को प्रबोध कीजे तुलसी को, सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत हैं ॥३२॥

तेरे बल बानर जिताये रन रावन सों, तेरे घाले जातुधान भये घर घर के ।

तेरे बल राम राज किये सब सुर काज, सकल समाज साज साजे रघुबर के ॥

तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत, सजल बिलोचन बिरंचि हरिहर के ।

तुलसी के माथे पर हाथ फेरो कीस नाथ, देखिये न दास दुखी तोसो कनिगर के ॥३३॥

पालो तेरे टूक को परेहू चूक मूकिये न, कूर कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये ।

भोरानाथ भोरे ही सरोष होत थोरे दोष, पोषि तोषि थापि आपनो न अव डेरिये ॥

अँबु तू हौं अँबु चूर, अँबु तू हौं डिंभ सो न, बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये ।

बालक बिकल जानि पाहि प्रेम पहिचानि, तुलसी की बाँह पर लामी लूम फेरिये ॥३४॥

घेरि लियो रोगनि, कुजोगनि, कुलोगनि ज्यौं, बासर जलद घन घटा धुकि धाई है ।

बरसत बारि पीर जारिये जवासे जस, रोष बिनु दोष धूम मूल मलिनाई है ॥

करुनानिधान हनुमान महा बलवान, हेरि हँसि हाँकि फूंकि फौंजै ते उड़ाई है ।

खाये हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि, केसरी किसोर राखे बीर बरिआई है ॥३५॥

सवैया-

राम गुलाम तु ही हनुमान गोसाँई सुसाँई सदा अनुकूलो ।

पाल्यो हौं बाल ज्यों आखर दू पितु मातु सों मंगल मोद समूलो ॥

बाँह की बेदन बाँह पगार पुकारत आरत आनँद भूलो ।

श्री रघुबीर निवारिये पीर रहौं दरबार परो लटि लूलो ॥३६॥

घनाक्षरी-

काल की करालता करम कठिनाई कीधौ, पाप के प्रभाव की सुभाय बाय बावरे ।

बेदन कुभाँति सो सही न जाति राति दिन, सोई बाँह गही जो गही समीर डाबरे ॥

लायो तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि, सींचिये मलीन भो तयो है तिहुँ तावरे ।

भूतनि की आपनी पराये की कृपा निधान, जानियत सबही की रीति राम रावरे ॥३७॥

पाँय पीर पेट पीर बाँह पीर मुंह पीर, जर जर सकल पीर मई है ।

देव भूत पितर करम खल काल ग्रह, मोहि पर दवरि दमानक सी दई है ॥

हौं तो बिनु मोल के बिकानो बलि बारे हीतें, ओट राम नाम की ललाट लिखि लई है ।

कुँभज के किंकर बिकल बूढ़े गोखुरनि, हाय राम राय ऐसी हाल कहूँ भई है ॥३८॥

बाहुक सुबाहु नीच लीचर मरीच मिलि, मुँह पीर केतुजा कुरोग जातुधान है ।

राम नाम जप जाग कियो चहों सानुराग, काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान है ॥

सुमिरे सहाय राम लखन आखर दौऊ, जिनके समूह साके जागत जहान है ।

तुलसी सँभारि ताडका सँहारि भारि भट, बेधे बरगद से बनाई बानवान है ॥३९॥

बालपने सूधे मन राम सनमुख भयो, राम नाम लेत माँगि खात टूक टाक हौं ।

परयो लोक रीति में पुनीत प्रीति राम राय, मोह बस बैठो तोरि तरकि तराक हौं ॥

खोटे खोटे आचरन आचरत अपनायो, अंजनी कुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं ।

तुलसी गुसाँई भयो भोंडे दिन भूल गयो, ताको फल पावत निदान परिपाक हौं ॥४०॥

असन बसन हीन बिषम बिषाद लीन, देखि दीन दूबरो करै न हाय हाय को ।

तुलसी अनाथ सो सनाथ रघुनाथ कियो, दियो फल सील सिंधु आपने सुभाय को ॥

नीच यहि बीच पति पाइ भरु हाईगो, बिहाइ प्रभु भजन बचन मन काय को ।

ता तें तनु पेषियत घोर बरतोर मिस, फूटि फूटि निकसत लोन राम राय को ॥४१॥

जीओ जग जानकी जीवन को कहाइ जन, मरिबे को बारानसी बारि सुर सरि को ।

तुलसी के दोहूँ हाथ मोदक हैं ऐसे ठाँऊ, जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरि को ॥

मो को झूँटो साँचो लोग राम कौ कहत सब, मेरे मन मान है न हर को न हरि को ।

भारी पीर दुसह सरीर तें बिहाल होत, सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करि को ॥४२॥

सीतापति साहेब सहाय हनुमान नित, हित उपदेश को महेस मानो गुरु कै ।

मानस बचन काय सरन तिहारे पाँय, तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुर कै ॥

ब्याधि भूत जनित उपाधि काहु खल की, समाधि की जै तुलसी को जानि जन फुर कै ।

कपिनाथ रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ, रोग सिंधु क्यों न डारियत गाय खुर कै ॥४३॥

कहों हनुमान सों सुजान राम राय सों, कृपानिधान संकर सों सावधान सुनिये ।

हरष विषाद राग रोष गुन दोष मई, बिरची बिरञ्ची सब देखियत दुनिये ॥

माया जीव काल के करम के सुभाय के, करैया राम बेद कहें साँची मन गुनिये ।

तुम्ह तें कहा न होय हा हा सो बुझैये मोहिं, हौं हूँ रहों मौनही वयो सो जानि लुनिये ॥४४॥

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श्री हनुमान बाहुक पाठ हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध पूजा पाठ है। यह पाठ श्री हनुमान की पूजा एवं भक्ति में किया जाता है। नीचे दिए गए हैं श्री हनुमान बाहुक पाठ के अंग्रेजी अनुवाद के साथ उनके अर्थ।

Read more:

श्री हनुमान बाहुक पाठ English and Hindi  में अर्थ सहित(Aarth Sahit) नीचे पढ़ें

छप्पय-

सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बाल-बरन तनु।

भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु।।

गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव।

जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव।।

कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट।

गुन-गनत, नमत, सुमिरत, जपत समन सकल-संकट-विकट।। १।।

अनुवाद:

सिंधु-तरन, सीता की चिंता दूर करना और सूर्य के समान तेज वाले शरीर वाला होने के साथ-साथ बड़े भुजाओं वाला और डरावनी मूर्ति वाला होने के बाद काल को भी जानने वाले और आग को भी जलाने वाले हनुमान जी के जैसे बलशाली, मानवता भाव से भरपूर, मद और दुष्टता को नष्ट करने वाले और धरती को हिलाने वाले पवनपुत्र हनुमान जी की सेवा करने से सबके हित में लगे रहने वाले तुलसीदास जी का उनके गुणों का गुणगान, नमस्कार, स्मरण और जप करता हुआ समस्त संकटों और कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हुए उनको ध्यान में रखने की यह श्लोक पढ़ा जाता है।

Meaning:

Sindhu-taran, Siya-soch-haran, Rabi-bal-baran tanu, Bhuj bisal, murati karal, kalhuko kal janu. Gahan-dahan-niradahan lank nishank, bank-bhuv, Jatudhan-balwan-man-mad-davan pavansuv.

Tulsidas says, “I serve the easily accessible Lord, who counts my virtues, bows to me, remembers me, and recites my name, and removes all difficulties and sorrows from me

स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन।

उर बिसाल भुज-दंड चंड नख-बज्र बज्र-तन।।

पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन।

कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन।।

कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति बिकट।

संताप पाप तेहि पुरुष कह सपनेहुँ नहिं आवत निकट।। २।।

हिंदी अनुवाद:

स्वर्ण के पहाड़ की तरह चमकती हुई, सूर्य की तेज़ तरंगों से भरी, उसके जीवनु से झांकती फौलादी बाहें, चंडीग्रासी नाखूनों वाले फौलादी शरीर वाला।। सुनहरी आंखों, भयानक मुख, तेजस्वी जीभ, दांतों वाले मुख। वानरों के बाल, खुरदूर के अंगूर, दुश्मनों को भयभीत करने वाला बलवान।। तुलसीदास कहते हैं कि उस पुरुष में बसती है मारुतसुत की भयंकर मूर्ति। संताप और पाप उस पुरुष के पास नहीं आते, यह सपनों में भी नहीं आते।। २।।

Svarna-sail-sankas koti-rabi-tarun-tej-ghan, Ur bisal bhuj-dand chand nakh-bajr bajr-tan. Ping nayan, bhrukuti karal rasna dasanan, Kapis kes, karkas langur, khal-dal bal bhanan.

Tulsidas says, “In my heart resides the fearsome form of Maruti’s son, whose body shines like a cluster of a million suns, with a massive chest, arms like maces, and razor-sharp nails. His eyes are red, his brow is furrowed, and his tongue and teeth are fierce. With monkey-like hair and a terrifying face, he destroys the army of sin and suffering. No one can approach him even in their dreams.”

झूलना- 

पंचमुख-छमुख-भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व-सरि-समर समरत्थ सूरो।

बाँकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो।।

जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासुबल, बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरो।

दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो।। ३।।

हिंदी अनुवाद:

पंचमुख, छमुख, भृगु मुख्य, भट असुर सुर, सर्व-सरि-समर समरत्थ सूर हैं। बाँकुरो, बीर, बिरुदैत, बिरुदावली, बेद बंदी, बदत, पैजपूरो हैं। जिनकी गुणगाथा रघुनाथ ने की है, उनकी बल, विपुल जल से भरी हुई दुनिया झूलती है। दुश्मनों का नाश करने वाले कौन हैं, वे तुलसीदास जी हैं, जिन्होंने पवन पुत्र रजपूत का नाम बढ़ाया है।

Panchamukh-chamukh-bhrigu mukhya bhata asura sur, sarva-sari-samar samarath suro. Bankuro bir birudait birudavali, beda bandi badat paijapuro. Jasu gun-gath Raghunath kah, jasubal, bipul-jal-bharit jag-jaladhi jhuro. Duvan-dal-damanku kaun Tulsisis hai, pavan ko poot rajapoot ruro.

The five-faced, six-faced, and Bhrigu-faced Lord is the chief warrior of both demons and gods, the all-pervading and omnipotent hero of battles. He is Bankura’s brave warrior, decorated with various titles, the liberator of the Vedas and the supreme conqueror. Tulsidas says, “Who can defeat the enemy army of Ram, whose praises fill the vast ocean of the world? He is the son of the wind, born in the lineage of kings, who can challenge the armies of the gods and demons?

घनाक्षरी-

भानुसों पढ़न हनुमान गये भानु मन-अनुमानि सिसु-केलि कियो फेरफार सो।

पाछिले पगनि गम गगन मगन-मन, क्रम को न भ्रम, कपि बालक बिहार सो।।

कौतुक बिलोकि लोकपाल हरि हर बिधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खभार सो।

बल कैंधौं बीर-रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि को सार सो।। ४।।

हिंदी अनुवाद:

भानुसों पढ़न हनुमान गये भानु मन-अनुमानि सिसु-केलि कियो फेरफार सो।

  • जब सूर्योदय हुआ तब हनुमान भानु देवता की पूजा करने गया, पर उनके मन में अनुमान का विचार था और वे खेल में लग गए।

पाछिले पगनि गम गगन मगन-मन, क्रम को न भ्रम, कपि बालक बिहार सो।।

  • पिछले पाँव से वे ऊपर की ओर जा रहे थे, मन तो खोया हुआ था, लेकिन क्रम बिगड़ा नहीं, वे बालक के रूप में बिहार में थे।

कौतुक बिलोकि लोकपाल हरि हर बिधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खभार सो।

  • हनुमान को अपने कौतुहल से देखते हुए लोकपाल भगवान विष्णु ने उन्हें हरि और हर के रूप में दर्शाया, जिससे उनके मन में उत्साह भर गया। लोचन चारों तरफ देख रहे थे और उनके मन में उत्साह का भार था।

बल कैंधौं बीर-रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि को सार सो।। ४।।

  • हनुमान ने अपनी बल पराक्रम को बढ़ाया, जो धीरज और साहस से भरा था।

Meaning:

Bhanuson padhan Hanuman gaye, bhanu man-anumani sisu-keli kiyo ferfar so. Pachhile pagni gam gagan magan-man, kram ko na bhram, kapi balak bihar so. Kautuk biloki lokapal hari hari vidhi, lochanani chakachoundhi chittani khabar so. Bal kaindhau bir-ras dheeraj kai, sahas kai, Tulsii sarir dhare saban ko sar so.

Hanuman went to study the movements of the sun, but he mistook the sun for a fruit and leapt towards it. He returned to earth after singeing his tail. Unperturbed by his mistake, he ran across the sky like a playful child. He is the protector of the world and is admired by all. His eyes are like spinning chakras and his mind is focused on serving the Lord. Tulsidas says, “Hanuman possesses great strength, courage, and determination. He has dedicated his entire being to serving the Lord and is the essence of all virtues.

भारत में पारथ के रथ केथू कपिराज, गाज्यो सुनि कुरुराज दल हल बल भो।

कह्यो द्रोन भीषम समीर सुत महाबीर, बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो।।

बानर सुभाय बाल केलि भूमि भानु लागि, फलँग फलाँग हूँतें घाटि नभतल भो।

नाई-नाई माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जोहैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो।। ५।।

हिंदी अनुवाद:– महाभारत में पारथ अर्थात् अर्जुन के रथ की पताका को देखते हुए केथू नामक कपिराज और कुरुराज गाज्यो ने दल हल और बल समेत अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, समीर, सुत, महाबली बलिवीर आदि ने उनके बल का समर्थन किया। हनुमान जी ने भूमि पर बालकृष्ण जी के लिए खेला जाने वाला क्रीड़ाकूदा उठाकर सूर्य के लिए उठाकर घाटों तक फेंक दिया। ऐसे ही अन्य बानर भी सूर्य के लिए उठाकर घाटों को छूते थे। हाथ जोड़कर योद्धाओं ने हनुमान जी को देखा। इस प्रकार हनुमान जी को देखकर सभी योद्धा समस्त दुःखों से मुक्त होते हुए संसार में जीवन का फल प्राप्त करते हैं।

Meaning:

Bharat mein Parth ke rath Kethu Kapiraj, Gajyo suni Kururaj dal hal bal bho. Kahyo Drona Bheesham Samir Sut Mahabir, bir-ras-bari-nidhi jako bal jal bho. Banar subhay bal Keli bhumi bhanu lagi, phalang-phalang huntete ghat nabhatl bho. Nai-nai math jori-jori hath jodha johain, Hanuman dekhe jagjeevan ko phal bho.

In India, Partha’s chariot is led by Kethu Kapiraj, the King of Kurus, who possesses a powerful army. Drona, Bhishma, and the brave Samir’s son, who are repositories of heroism, have praised him for his strength. The monkeys playing on the ground leap towards the sun, and fruits fall from the trees like rain. With folded hands, people of all castes and creeds worship Hanuman, who is the source of life for the world.

गो-पद पयोधि करि होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निसंक परपुर गलबल भो।

द्रोन-सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक-ज्यों कपि खेल बेल कैसो फल भो।।

संकट समाज असमंजस भो रामराज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो।

साहसी समत्थ तुलसी को नाह जाकी बाँह, लोकपाल पालन को फिर थिर थल भो।। ६।।

हिंदी अनुवाद: – “गो-पद को समुद्र के समान बनाकर, होलिका के समान जला डाला और शत्रु के पुर में गड़बड़ी मचा दी, द्रोण के समान भारी पर्वत खेल में उठा लिया गेंद के समान, कपिराज के लिए बेल-फल बन गया। राम-राज्य में असमंजस उत्पन्न हुआ, परंतु उसका काम पलभर में मुट्ठी में आ गया। तुलसी के स्वामी बड़े साहसी और सामर्थ्यवान हैं, जिनकी भुजाएँ लोकपालों को पालन करने तथा उन्हें फिर से स्थिरता-पूर्वक बसाने का स्थान हुईं।”

इस कविता में गो-पद (गोखरू) को समुद्र के समान बनाया गया है ताकि होलिका के समान जला दिया जा सके। होलिका को जलाने से शत्रु के पुर में गड़बड़ी मच गई। द्रोण के समान भारी पर्वत खेल में उठा लिया गेंद के समान, कपिराज के लिए बेल-फल बन गया। राम-राज्य में असमंजस उत्पन्न हुआ, परंतु उसका काम पलभर में मुट्ठी में आ गया। तुलसी के स्वामी बड़े साहसी और सामर्थ्यवान है

।। ६।।

Meaning:

Go-pad payodhi kari Holika jyon lai Lank, Nipat nisank parapur galabal bho. Dron-so pahar liyo khayal hi ukhari kar, Kanduk-jyon kapi khel bel kaiso phal bho. Sankat samaj asamanjas bho Ramraj, Kaj jug pugani ko kartal pal bho. Sahas-samath Tulsi ko nah jaki bahn, Lokpal palan ko phir thir thal bho.

Just as Holika was engulfed by the sea of cow’s milk, and the destruction of Lanka was inevitable without any doubt, As easily as Drona was defeated with a mere thought, and the result of the monkey’s play with the ball was fixed. Tulsidas says, “The rule of Ram is like a remedy for all the confusion and problems in society, and it resounds like the clapping of hands in every age. Courage and equanimity are the virtues that Tulsi possesses, and he is always ready to protect the world.”

कमठ की पीठि जाके गोडनि की गाड़ैं मानो, नाप के भाजन भरि जल निधि जल भो।

जातुधान-दावन परावन को दुर्ग भयो, महामीन बास तिमि तोमनि को थल भो।।

कुम्भकरन-रावन पयोद-नाद-ईंधन को, तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो।

भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान, सारिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो।। ७।।

हिंदी अनुवाद:– कच्छप की पीठ में जिनके पाँव के गड़हे समुद्र का जल भरने के लिये मानो नाप के पात्र (बर्तन) हुए। राक्षसों का नाश करते समय वह (समुद्र) ही उनके भागकर छिपने का गढ़ हुआ तथा वही बहुत-से बड़े-बड़े मत्स्यों के रहने का स्थान हुआ। तुलसीदासजी कहते हैं – रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद रुपी ईंधन को जलाने के निमित्त जिनका प्रताप प्रचण्ड अग्नि हुआ। भीष्मपितामह कहते हैं – मेरी समझ में हनुमान् जी के समान अत्यन्त बलवान् तीनों काल और तीनों लोक में कोई नहीं हुआ।। ७।।

Meaning:

Kamath ki peethi jaake godni ki gaadhein maano, naap ke bhaajan bhari jal nidhi jal bho. Jatudhan-davan paraavan ko Durg bhayo, maha-meen baas timi tomani ko thal bho. Kumbhakaran-Ravan payod-naad-eeandhan ko, Tulsii prataap jaako prabal anal bho. Bhisham kahat mere anumaan Hanuman, saarikho trikaal na trilok mahabal bho.

When Hanuman reached the throne of Kamath, it sank as if it was the depth of the ocean, and when he stamped his feet, the water resources overflowed. Durg was afraid of Jatudhan-davan’s prowess, and even the great fish fled to the depths of the ocean. Tulsidas says that Hanuman is like a strong fire that burnt the ocean, Kumbhakaran, and Ravan with their stored fuel. Bhisham said that in his estimation, Hanuman is not only the most powerful in the three worlds, but also in all three times.

दूत रामराय को, सपूत पूत पौनको, तू अंजनी को नन्दन प्रताप भूरि भानु सो।

सीय-सोच-समन, दुरित दोष दमन, सरन आये अवन, लखन प्रिय प्रान सो।।

दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो, प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो।

ज्ञान गुनवान बलवान सेवा सावधान, साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो।। ८।।

हिंदी अनुवाद:– आप राजा रामचन्द्रजी के दूत, पवनदेव के सुयोग्य पुत्र, अंजनीदेवी को आनन्द देने वाले, असंख्य सूर्यों के समान तेजस्वी, सीताजी के शोकनाशक, पाप तथा अवगुण के नष्ट करने वाले, शरणागतों की रक्षा करने वाले और लक्ष्मणजी को प्राणों के समान प्रिय हैं। तुलसीदासजी के दुस्सह दरिद्र-रुपी रावण का नाश करने के लिये आप तीनों लोकों में आश्रय रूप प्रकट हुए हैं। अरे लोगो ! तुम ज्ञानी, गुणवान्, बलवान् और सेवा (दूसरों को आराम पहुँचाने) – में सजग हनुमान् जी के समान चतुर स्वामी को अपने हृदय में बसाओ।। ८।।

Meaning:

Doot Ramray ko, saput poot paun ko, tu Anjani ko Nandan prataap bhoori bhaanu so. Siya-soch-saman, durit dosh daman, saran aaye avan, Lakhana priya pran so. Dasamukh dusah daridra daribe ko bhayo, prakat tilok ok Tulsi nidhan so. Gyan gunvaan balvaan seva saavadhaan, saheb sujaan ur aanu Hanuman so.

O messenger of Lord Rama, born of his own lineage, You are the son of Anjani and the mighty Sun, with a glorious reputation. You have come to protect Sita and destroy the misdeeds of the wicked, Beloved of Lakhana, the very life of him.

You defeated the ten-headed demon and saved the distressed, Revealing your divine form to the three worlds, Tulsi says, “You are the treasure of all.” Full of wisdom, virtues, and strength, always ready to serve, You are the noble and intelligent servant of the Lord, Hanuman.

दवन-दुवन-दल भुवन-बिदित बल, बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को। पाप-ताप-तिमिर तुहिन-विघटन-पटु, सेवक-सरोरुह सुखद भानु भोर को।। लोक-परलोक तें बिसोक सपने न सोक, तुलसी के हिये है भरोसो एक ओर को। राम को दुलारो दास बामदेव को निवास, नाम कलि-कामतरु केसरी-किसोर को।। ९।।

हिंदी अनुवाद: – दानवों की सेना को नष्ट करने में जिनका पराक्रम विश्व-विख्यात है, वेद यश-गान करते हैं कि देवताओं को कारागार से छुड़ाने वाला पवनकुमार के सिवा दूसरा कौन है ? आप पापान्धकार और कष्ट-रुपी पाले को घटाने में प्रवीण तथा सेवक रुपी कमल को प्रसन्न करने के लिये प्रातः-काल के सूर्य के समान हैं। तुलसी के हृदय में एकमात्र हनुमान् जी का भरोसा है, स्वप्न में भी लोक और परलोक की चिन्ता नहीं, शोकरहित हैं, रामचन्द्रजी के दुलारे शिव-स्वरुप (ग्यारह रुद्र में एक) केसरी-नन्दन का नाम कलिकाल में कल्प-वृक्ष के समान है।। ९।।

Meaning:

Duvan-duvan-dal bhuvan-bidit bal, beda jas gavat bibudha bandichor ko. Pap-tap-timir tuhin-vighatan-patu, sevak-saroruh sukhad bhanu bhor ko. Lok-parlok ten bisok sapne na sok, Tulsike hiye hai bharoso ek or ko. Ram ko dularo das bamdev ko nivas, naam kali-kamataru kaseri-kisor ko.

Tulsidas places his trust in the Lord, whose power is known throughout the world and whose praises are sung by the gods and liberated souls. He dispels sin, suffering, and darkness, and is the kind and radiant sun of the lotus-like devotees. He is not troubled by the transient dreams of this world and the next, and is the beloved of Ram and the residence of Bamdev. Tulsidas takes refuge in the name of the Lord, who is the wish-fulfilling tree of the Kali age and the young lion of the Kesari dynasty.

महाबल-सीम महाभीम महाबान इत, महाबीर बिदित बरायो रघुबीर को।

कुलिस-कठोर तनु जोरपरै रोर रन, करुना-कलित मन धारमिक धीर को।।

दुर्जन को कालसो कराल पाल सज्जन को, सुमिरे हरनहार तुलसी की पीर को।

सीय-सुख-दायक दुलारो रघुनायक को, सेवक सहायक है साहसी समीर को।। १०।।

हिंदी अनुवाद: – आप अत्यन्त पराक्रम की हद, अतिशय कराल, बड़े बहादुर और रघुनाथजी द्वारा चुने हुए महाबलवान् विख्यात योद्धा हैं। वज्र के समान कठोर शरीर वाले जिनके जोर पड़ने अर्थात् बल करने से रणस्थल में कोलाहल मच जाता है, सुन्दर करुणा एवं धैर्य के स्थान और मन से धर्माचरण करने वाले हैं। दुष्टों के लिये काल के समान भयावने, सज्जनों को पालने वाले और स्मरण करने से तुलसी के दुःख को हरने वाले हैं। सीताजी को सुख देने वाले, रघुनाथजी के दुलारे और सेवकों की सहायता करने में पवनकुमार बड़े ही साहसी हैं।। १०।।

Meaning:

Mahabal-sim mahabhim mahaban it, mahabir bidit barayo Raghubeer ko. Kulis-kathor tanu jorparai ror ran, karuna-kalit man dharamik dhir ko. Durjan ko kalsao karal pal sajjan ko, sumire harnahar Tulsiki pir ko. Siya-sukh-dayak dularo Raghunayak ko, sevak sahayak hai sahasi samir ko.

He is known as Mahabal, Mahabhim, Mahaban and Mahavir, and is the famous hero of Lord Raghubeer’s lineage. He wields a heavy and sharp axe, and has a compassionate heart and strong principles. He is the fearsome destroyer of evil and protector of the virtuous, and Tulsidas remembers him with great devotion. He is the giver of happiness to Sita, the lord of the Raghu dynasty, and the brave companion and helper of his devotees.

रचिबे को बिधि जैसे, पालिबे को हरि, हर मीच मारिबे को, ज्याईबे को सुधापान भो।

धरिबे को धरनि, तरनि तम दलिबे को, सोखिबे कृसानु, पोषिबे को हिम-भानु भो।।

खल-दुःख दोषिबे को, जन-परितोषिबे को, माँगिबो मलीनता को मोदक सुदान भो।

आरत की आरति निवारिबे को तिहुँ पुर, तुलसी को साहेब हठीलो हनुमान भो।। ११।।

अनुवाद:

जैसे कोई वस्तु रची जाती है, उसे पाला जाता है, उसे मारा जाता है और जैसे अन्न को सुधा से मिलाया जाता है। जैसे पृथ्वी को धारण किया जाता है, समुद्र को तराया जाता है, तम से लड़ने वाले को लड़ाया जाता है, कृषि को संभाला जाता है और हिम के समान उषा को पोषित किया जाता है। दुष्टों को दुःख दिया जाता है, भक्तों को आनंद दिया जाता है, मलिनता को मोदक से माँगा जाता है। इस प्रकार तुलसी की आरती करने से जीवन की भव्यता को प्राप्त किया जा सकता है। हे हनुमान, जो सहायता करते हुए तुलसी के स्वामी हैं, उन्हें हठियार बना दो।

Meaning:

Rachibe ko vidhi jaise, palibe ko Hari, har mich maribe ko, jyaibe ko sudha-pan bho. Dharibe ko dharni, tarani tam dalibe ko, sokhibe Krsanu, poshibe ko him-bhanu bho. Khal-dukh doshibe ko, jan-paritoshibe ko, mangibo malinata ko modak sudan bho. Arati ki arati nivarebe ko ti-hun pura, Tulsikoko saheb hathilo Hanuman bho.

Just as the Creator creates, and the Lord sustains, and destroys the evil-doers, and provides nourishment like nectar, The Lord holds up the earth, crosses the ocean of darkness, and nourishes the world like the sun that melts snow. He removes the pain of the wicked and satisfies the desires of the devotees, and accepts the offerings of modak with pleasure. Tulsidas says, “May the Lord of Hanuman, who removes all obstacles, bring an end to my suffering and grant me happiness.”

सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँक को।

देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ, बापुरे बराक कहा और राजा राँक को।।

जागत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताके जो अनर्थ सो समर्थ एक आँक को।

सब दिन रुरो परै पूरो जहाँ-तहाँ ताहि, जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँक को।। १२।।

हिंदी अनुवाद: – सेवक हनुमान् जी की सेवा समझकर जानकीनाथ ने संकोच माना अर्थात् अहसान से दब गये, शिवजी पक्ष में रहते और स्वर्ग के स्वामी इन्द्र नवते हैं। देवी-देवता, दानव सब दया के पात्र बनकर हाथ जोड़ते हैं, फिर दूसरे बेचारे दरिद्र-दुःखिया राजा कौन चीज हैं। जागते, सोते, बैठते, डोलते, क्रीड़ा करते और आनन्द में मग्न (पवनकुमार के) सेवक का अनिष्ट चाहेगा ऐसा कौन सिद्धान्त का समर्थ है ? उसका जहाँ-तहाँ सब दिन श्रेष्ठ रीति से पूरा पड़ेगा, जिसके हृदय में अंजनीकुमार की हाँक का भरोसा है।। १२।।

Meaning:

Sevak syokai jani Janaki’s manai kani, sanukul sulapani navai nath nanak ko. Devi dev danav dayavane hvai jorai hath, bapure barak kaha aur raja rank ko. Jagat sovat baithe bagat binod mod, take jo anarth so samarth ek ank ko. Sab din ruro parai puro jahan-tahan tahai, jake hai bharoso hiye Hanuman hank ko.

The servant knows the sorrows of Janaki and what pleases her, and the nine-named Lord, who wields the spear of loyalty to his kin. The goddess of gods and the demons’ benefactor both fold their hands, while Bapu’s lineage and the king of the rank receive his blessings. While the world sleeps or indulges in leisure, only one glance of his can solve all troubles and make the weak mighty. He is trusted everywhere, and his flag of Hanuman gives courage to the heart, and his name echoes in every corner of the world.

सानुग सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि, लोकपाल सकल लखन राम जानकी।

लोक परलोक को बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी।।

केसरी किसोर बन्दीछोर के नेवाजे सब, कीरति बिमल कपि करुनानिधान की।

बालक-ज्यों पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको, जाके हिये हुलसति हाँक हनुमान की।। १३।।

हिंदी अनुवाद: – जिसके हृदय में हनुमान् जी की हाँक उल्लसित होती है, उसपर अपने सेवकों और पार्वतीजी के सहित शंकर भगवान्, समस्त लोकपाल, श्रीरामचन्द्र, जानकी और लक्ष्मणजी भी प्रसन्न रहते हैं। तुलसीदासजी कहते हैं फिर लोक और परलोक में शोकरहित हुए उस प्राणी को तीनों लोकों में किसी योद्धा के आश्रित होने की क्या लालसा होगी ? दया-निकेत केसरी-नन्दन निर्मल कीर्तिवाले हनुमान् जी के प्रसन्न होने से सम्पूर्ण सिद्ध-मुनि उस मनुष्य पर दयालु होकर बालक के समान पालन करते हैं, उन करुणानिधान कपीश्वर की कीर्ति ऐसी ही निर्मल है।। १३।।

Meaning:

Sanug saugari sanukul sulapani tahi, lokapal sakal lakhana Ram Janaki. Lok parlok ko bisok so tilok tahi, Tulsī tamai kahā kāhū bīr ānakī. Kesari kisor bandichor ke nevāje sab, kīrti bimal kapi karunānidhān kī. Balak-jyon pālihai krpālu muni siddha tāko, jāke hiye hulasati hānk Hanumān kī.

Ram, the protector of the world, and Janaki, the daughter of King Janak, are always together like Sita and Sahadeva, and are worshiped by all. Their fame extends beyond this world and the next, and they are adorned with the tilaka of the three worlds. Tulsidas wonders, “Who can describe the heroic deeds of such a great couple?”

Kesari’s son, Hanuman, the thief of hearts, is praised by all. He is a spotless gem among monkeys, and a treasure trove of compassion. He is cared for like a child by the merciful sages, and his heart is filled with joy. Hanuman is the faithful servant of Ram.

करुनानिधान, बलबुद्धि के निधान मोद-महिमा निधान, गुन-ज्ञान के निधान हौ।

बामदेव-रुप भूप राम के सनेही, नाम लेत-देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ।।

आपने प्रभाव सीताराम के सुभाव सील, लोक-बेद-बिधि के बिदूष हनुमान हौ।

मन की बचन की करम की तिहूँ प्रकार, तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ।। १४।।

हिंदी अनुवाद: – तुम दया के स्थान, बुद्धि-बल के धाम, आनन्द महिमा के मन्दिर और गुण-ज्ञान के निकेतन हो; राजा रामचन्द्र के स्नेही, शंकरजी के रूप और नाम लेने से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के देने वाले हो। हे हनुमान् जी ! आप अपनी शक्ति से श्रीरघुनाथजी के शील-स्वभाव, लोक-रीति और वेद-विधि के पण्डित हो !मन, वचन, कर्म तीनों प्रकार से तुलसी आपका दास है, आप चतुर स्वामी हैं अर्थात् भीतर-बाहर की सब जानते हैं।। १४।।

Meaning:

Karunanidhan, bal-buddhi ke nidhan, mod-mahima nidhan, gun-jnan ke nidhan hau. Bamdev-rup bhup Ram ke senehi, naam let-det arth dharm kam nirban hau. Aapne prabhav Sita-Ram ke subhav seel, lok-ved-vidhi ke bidush Hanuman hau. Man ki bachan ki karam ki tihun prakar, Tulsidas tiharo tum saheb sujan hau.

Lord Ram is the treasure trove of compassion, strength, and wisdom, the embodiment of joy and glory, and the repository of virtues and knowledge. He is the beloved friend of King Bamdev, who grants all wishes, and is the ultimate goal of righteousness and desirelessness. Hanuman, who has the power of his own deeds and the charm of Sita and Ram, is an expert in the knowledge of the world and the Vedas. Tulsidas says, “Your thoughts, words, and deeds are all of the highest caliber. You are my Lord, the wise and noble one.”

मन को अगम, तन सुगम किये कपीस, काज महाराज के समाज साज साजे हैं।

देव-बंदी छोर रनरोर केसरी किसोर, जुग जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं।

बीर बरजोर, घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु खल गन गाजे हैं।

बिगरी सँवार अंजनी कुमार कीजे मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाजे हैं।। १५।।

हिंदी अनुवाद: – हे कपिराज ! महाराज रामचन्द्रजी के कार्य के लिये सारा साज-समाज सजकर जो काम मन को दुर्गम था, उसको आपने शरीर से करके सुलभ कर दिया। हे केशरीकिशोर ! आप देवताओं को बन्दीखाने से मुक्त करने वाले, संग्राम-भूमि में कोलाहल मचाने वाले हैं और आपकी नामवरी युग-युग से संसार में विराजती है। हे जबरदस्त योद्धा ! आपका बल तुलसी के लिये क्यों घट गया, जिसको सुनकर साधु सकुचा गये हैं और दुष्टगण प्रसन्न हो रहे हैं, हे अंजनीकुमार ! मेरी बिगड़ी बात उसी तरह सुधारिये जिस प्रकार आपके प्रसन्न होने से होती (सुधरती) आयी है।। १५।।

Meaning:

Man ko agam, tan sugam kiye kapees, kaaj maharaj ke samaj saaj saje hain. Dev-bandhi chor ranror Kesari kisor, jug jug jag tere birad biraje hain. Bir barjor, ghati jor Tulsiki ki or, suni sakuchane sadhu khal gan gaje hain. Bigari sanwar Anjani kumar kije mohin, jaise hot aaye Hanuman ke nivaje hain.

By wearing the clothes of a monkey, the Lord made the mind difficult to comprehend and the body easy to use, and he adorned the society of the great king. The son of Kesari, who was imprisoned by the gods, shines in every age with his divine glories. Tulsidas says, “Brave and powerful warriors sing your praises, both saints and scoundrels listen to them with rapt attention.” Make me righteous, O son of Anjani, as if I am one of those who attended Hanuman’s congregation.

सवैया-

 जान सिरोमनि हौ हनुमान सदा जन के मन बास तिहारो।

ढ़ारो बिगारो मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो।।

साहेब सेवक नाते तो हातो कियो सो तहाँ तुलसी को न चारो।

दोष सुनाये तें आगेहुँ को होशियार ह्वैं हों मन तौ हिय हारो।। १६।।

हिंदी अनुवाद: – हे हनुमान् जी ! आप ज्ञान-शिरोमणी हैं और सेवकों के मन में आपका सदा निवास है। मैं किसी का क्या गिराता वा बिगाड़ता हूँ। हे स्वामी ! आपने मुझे सेवक के नाते से च्युत कर दिया, इसमें तुलसी का कोई वश नहीं है। यद्यपि मन हृदय में हार गया है तो भी मेरा अपराध सुना दीजिये, जिसमें आगे के लिये होशियार हो जाऊँ।। १६।।

Meaning:

Jan siromani hau Hanuman sada jan ke man baas tihaaro. Dhaaro bigaaro main kaako kaha kehi kaaran khijhat hau to tihaaro. Saahab sevak naate to haato kiyo so tahaan Tulsik ko na chaaro. Dosh sunaye ten aagehun ko hoshiyaar hvai hoon man tau hiya haaro.

I am Hanuman, the crown jewel of servants, who always resides in the hearts of devotees. I am ready to carry out my master’s orders, and if I ever deviate, it is due to my own mistake. Tulsidas says, “My relationship with my Lord is that of a servant and master, and I do not seek any other connection.” If anyone points out my faults, I remain alert and surrender my mind and heart to my Lord.

तेरे थपे उथपै न महेस, थपै थिरको कपि जे घर घाले।

तेरे निवाजे गरीब निवाज बिराजत बैरिन के उर साले।।

संकट सोच सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरी के से जाले।

बूढ़ भये, बलि, मेरिहि बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले।। १७।।

हिंदी अनुवाद: – हे वानरराज ! आपके बसाये हुए को शंकर भगवान भी नहीं उजाड़ सकते और जिस घर को आपने नष्ट कर दिया उसको कौन बसा सकता है ? हे गरीबनिवाज ! आप जिस पर प्रसन्न हुए, वे शत्रुओं के हृदय में पीड़ा रूप होकर विराजते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं, आपका नाम लेने से सम्पूर्ण संकट और सोच मकड़ी के जाले के समान फट जाते हैं। बलिहारी ! क्या आप मेरी ही बार बूढ़े हो गये अथवा बहुत-से गरीबों का पालन करते – करते अब थक गये हैं ? (इसी से मेरा संकट दूर करने में ढील कर रहे हैं)।। १७।।

Meaning:

Tere thape uthpai na Mahes, thapai thirko kapi je ghar ghale. Tere nivaje garib nivaj birajat bairin ke ur saale. Sankat soch sabai Tulsii liye naam phatai makari ke se jaale. Boodha bhaye, bali, merihi baar, ki haari pare bahutai nat paale.

Mahesh (Lord Shiva) cannot move without your will, and monkeys dance in your home as you command. Your prayer is a refuge for the poor and it shines in the hearts of your enemies. Tulsidas says, “By taking your name, all worries disappear, and the net of Makar (a demon) breaks. Even when I become old and weak, I will continue to offer myself to you, for there is no one else who can save me.

सिंधु तरे, बड़े बीर दले खल, जारे हैं लंक से बंक मवा से।

तैं रनि-केहरि केहरि के बिदले अरि-कुंजर छैल छवा से।।

तोसों समत्थ सुसाहेब सेई सहै तुलसी दुख दोष दवा से।

बानर बाज ! बढ़े खल-खेचर, लीजत क्यों न लपेटि लवा-से।। १८।।

हिंदी अनुवाद: – आपने समुद्र लाँघकर बड़े-बड़े दुष्ट राक्षसों का विनाश करके लंका -जैसे विकट गढ़ को जलाया। हे संग्राम-रुपी वन के सिंह ! राक्षस शत्रु बने-ठने हाथी के बच्चे के समान थे, आपने उनको सिंह की भाँति विनष्ट कर डाला। आपने बराबर समर्थ और अच्छे स्वामी की सेवा करते हुए तुलसी दोष और दुःख की आग को सहन करे (यह आश्चर्य की बात है)। हे वानर-रुपी बाज ! बहुत-से दुष्ट-जन-रुपी पक्षी बढ़ गये हैं, उनको आप बटेर के समान क्यों नहीं लपेट लेते ?।। १८।।

Meaning:

Sindhu tare, bade bir dale khal, jare hain Lank se bank mava se. Tain rani-kehrin ke bidale ari-kunjar chhael chhava se. Toson samattha susahib sei sahai Tulsida dukh dosh dava se. Banar baj! Badhe khal-khechar, lijat kyon na lapti lava se.

You crossed the ocean, brave and mighty troops marched towards Lanka, making the city tremble. You destroyed the enemy’s fortresses and scattered their army like a herd of elephants. Tulsidas says, “Only the Lord can provide true equality and protection from suffering and faults. Oh monkeys! Attack the wicked and deceitful enemies without hesitation.

अच्छ-विमर्दन कानन-भानि दसानन आनन भा न निहारो।

बारिदनाद अकंपन कुंभकरन्न-से कुंजर केहरि-बारो।।

राम-प्रताप-हुतासन, कच्छ, बिपच्छ, समीर समीर-दुलारो।

पाप-तें साप-तें ताप तिहूँ-तें सदा तुलसी कहँ सो रखवारो।। १९।।

हिंदी अनुवाद: – हे अक्षयकुमार को मारने वाले हनुमान् जी ! आपने अशोक-वाटिका को विध्वंस किया और रावण-जैसे प्रतापी योद्धा के मुख के तेज की ओर देखा तक नहीं अर्थात् उसकी कुछ भी परवाह नहीं की। आप मेघनाद, अकम्पन और कुम्भकर्ण -सरीखे हाथियों के मद को चूर्ण करने में किशोरावस्था के सिंह हैं। विपक्षरुप तिनकों के ढेर के लिये भगवान राम का प्रताप अग्नि-तुल्य है और पवनकुमार उसके लिये पवन-रुप हैं। वे पवननन्दन ही तुलसीदास को सर्वदा पाप, शाप और संताप – तीनों से बचाने वाले हैं।। १९।।

Meaning:

Achha-vimardan kanan-bhani dasanan anan bha na niharo, Baridanad akampan kumbhakarnn-se kunjar kehari-baro. Ram-pratap-hutasan, kaccha, bipaccha, samir samir-dularo, Pap-ten sap-ten tap tihu-ten sada Tulsikah so rakhavaro.

The sight of the ten-faced Ravana, who ravaged the forests and destroyed everything, was unbearable to behold. Kumbhakarna, who shook the earth with his roar, was like a mighty elephant. But Ram, the destroyer of enemies, the one who burnt Lanka, and the beloved of the wind, was always victorious. Tulsidas says, “The Lord protects those who take refuge in him from sin, curse, and suffering in all three worlds.

घनाक्षरी-

जानत जहान हनुमान को निवाज्यौ जन, मन अनुमानि बलि, बोल न बिसारिये।

सेवा-जोग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी, साहेब सुभाव कपि साहिबी सँभारिये।।

अपराधी जानि कीजै सासति सहस भाँति, मोदक मरै जो ताहि माहुर न मारिये।

साहसी समीर के दुलारे रघुबीर जू के, बाँह पीर महाबीर बेगि ही निवारिये।। २०।।

हिंदी अनुवाद: – हे हनुमान् जी ! बलि जाता हूँ, अपनी प्रतिज्ञा को न भुलाइये, जिसको संसार जानता है, मन में विचारिये, आपका कृपा-पात्र जन बाधारहित और सदा प्रसन्न रहता है। हे स्वामी कपिराज ! तुलसी कभी सेवा के योग्य था ? क्या चूक हुई है, अपनी साहिबी को सँभालिये, मुझे अपराधी समझते हों तो सहस्त्रों भाँति की दुर्दशा कीजिये, किन्तु जो लड्डू देने से मरता हो उसको विष से न मारिये। हे महाबली, साहसी, पवन के दुलारे, रघुनाथजी के प्यारे ! भुजाओं की पीड़ा को शीघ्र दूर कीजिये।। २०।।

Meaning:

Jaanat jahan Hanuman ko nivajyau jan, Man anumani bali, bol na bisariye. Seva-jog Tulsidas kabahun kaha chook pari, Saheb subhav kapi sahibi sambhariye.

Apradhi jani kijai sasati sahasa bhanti, Modak marai jo tahi mahur na mariye. Sahasii samir ke dulaare raghubiir ju ke, Baanh piir mahaabiir begi hii nivaariye.

Meaning:

All the people should worship Lord Hanuman who is known everywhere, Keep faith in your heart and do not forget to offer sacrifices and prayers to him. Tulsidas admits his mistake in serving and says that he will never repeat it again, May the Lord keep the devotees in His care and protect them.

Even if you are a sinner, offer modak with devotion to Lord Hanuman, He will never kill or harm anyone who has taken refuge in Him. May the brave and fearless Lord Ram’s devotee Hanuman protect us, And remove all our difficulties and sufferings with His powerful embrace.

बालक बिलोकि, बलि बारेतें आपनो कियो, दीनबन्धु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये।

रावरो भरोसो तुलसी के, रावरोई बल, आस रावरीयै दास रावरो बिचारिये।।

बड़ो बिकराल कलि, काको न बिहाल कियो, माथे पगु बलि को, निहारि सो निवारिये।

केसरी किसोर, रनरोर, बरजोर बीर, बाँहुपीर राहुमातु ज्यौं पछारि मारिये।। २१।।

हिंदी अनुवाद: – हे दीनबन्धु ! बलि जाता हूँ, बालक को देखकर आपने लड़कपन से ही अपनाया और मायारहित अनोखी दया की। सोचिये तो सही, तुलसी आपका दास है, इसको आपका भरोसा, आपका ही बल और आपकी ही आशा है। अत्यन्त भयानक कलिकाल ने किसको बेचैन नहीं किया ? इस बलवान् का पैर मेरे मस्तक पर भी देखकर उसको हटाइये। हे केशरीकिशोर, बरजोर वीर ! आप रण में कोलाहल उत्पन्न करने वाले हैं, राहु की माता सिंहिका के समान बाहु की पीड़ा को पछाड़कर मार डालिये।। २१।।

Meaning:

Balak Biloki, Bali Bareten Apno Kiyo, Deenbandhu Daya Kinhi Nirupadhi Nyariye, Ravaro Bharoso Tulsike, Ravaroi Bal, Aas Ravariyai Das Ravaro Bichariye.

Oh Lord, Balak Biloki, why did you sacrifice yourself? You are the friend of the poor and you have shown infinite compassion. Tulsi has complete trust in you, your strength and power. Please consider me as your servant.

Bado Bikral Kali, Kako Na Bihal Kiyo, Mathe Pago Bali Ko, Nihaari So Nivariye, Kesari Kisor, Ranror, Barjor Bir, Baanhupeer Rahunath Jyoun Pachari Mariye.

In this fierce Kali Yuga, why didn’t the crow (Kak) falter? Please remove the mark on my forehead that was left by Bali’s foot. Oh Kesari’s son, the valiant warrior with a lion’s heart, the protector of the weak, please destroy my sins just as you vanquished Ravana.

उथपे थपनथिर थपे उथपनहार, केसरी कुमार बल आपनो सँभारिये।

राम के गुलामनि को कामतरु रामदूत, मोसे दीन दूबरे को तकिया तिहारिये।।

साहेब समर्थ तोसों तुलसी के माथे पर, सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये।

पोखरी बिसाल बाँहु, बलि, बारिचर पीर, मकरी ज्यौं पकरि कै बदन बिदारिये।। २२।।

हिंदी अनुवाद: – हे केशरीकुमार ! आप उजड़े हुए (सुग्रीव-विभीषण) – को बसाने वाले और बसे हुए (रावणादि) – को उजाड़ने वाले हैं, अपने उस बल का स्मरण कीजिये। हे रामदूत ! रामचन्द्रजी के सेवकों के लिये आप कल्पवृक्ष हैं और मुझ-सरीखे दीन-दुर्बलों को आपका ही सहारा है। हे वीर ! तुलसी के माथे पर आपके समान समर्थ स्वामी विद्यमान रहते हुए भी वह बाँधकर मारा जाता है। बलि जाता हूँ, मेरी भुजा विशाल पोखरी के समान है और यह पीड़ा उसमें जलचर के सदृश है, सो आप मकरी के समान इस जलचरी को पकड़कर इसका मुख फाड़ डालिये।। २२।।

Meaning:

Uthape Thapanathir Thape Uthapnahar, Kesari Kumar Bal Apno Sambhariye, Ram Ke Gulaman Ko Kamtaru Ramdoot, Mose Din Doobare Ko Takiya Tihariye.

You lift up those who are fallen, Kesari’s son, please protect your own strength and power. Oh servant of Lord Rama, messenger of Lord Rama, please give solace to the wretched and the helpless.

Saheb Samarth Toso Tulsi Ke Mathe Par, Soo Apradh Binu Bir, Baandhi Mariye, Pokhari Bisaal Baanhu, Bali, Barichar Peer, Makari Jyoun Pakari Kai Badan Bidiyariye.

Oh all-powerful master, please bind my sins and faults without any hesitation, just as Tulsi has complete faith in you. Oh one with a massive arm like a crocodile, please tear apart the enemies of Bali and the oppressed.

राम को सनेह, राम साहस लखन सिय, राम की भगति, सोच संकट निवारिये।

मुद-मरकट रोग-बारिनिधि हेरि हारे, जीव-जामवंत को भरोसो तेरो भारिये।।

कूदिये कृपाल तुलसी सुप्रेम-पब्बयतें, सुथल सुबेल भालू बैठि कै बिचारिये।

महाबीर बाँकुरे बराकी बाँह-पीर क्यों न, लंकिनी ज्यों लात-घात ही मरोरि मारिये।। २३।।

Meaning:

हिंदी अनुवाद: – मुझमें रामचन्द्रजी के प्रति स्नेह, रामचन्द्रजी की भक्ति, राम-लक्ष्मण और जानकीजी की कृपा से साहस (दृढ़ता-पूर्वक कठिनाइयों का सामना करने की हिम्मत) है, अतः मेरे शोक-संकट को दूर कीजिये। आनन्दरुपी बंदर रोग-रुपी अपार समुद्र को देखकर मन में हार गये हैं, जीवरुपी जाम्बवन्त को आपका बड़ा भरोसा है। हे कृपालु ! तुलसी के सुन्दर प्रेमरुपी पर्वत से कूदिये, श्रेष्ठ स्थान (हृदय) -रुपी सुबेलपर्वत पर बैठे हुए जीवरुपी जाम्बवन्त जी सोचते (प्रतीक्षा करते) हैं। हे महाबली बाँके योद्धा ! मेरे बाहु की पीड़ारुपिणी लंकिनी को लात की चोट से क्यों नहीं मरोड़कर मार डालते ?।। २३।।

Meaning:

Ram Ko Saneh, Ram Sahas Lakhan Siya, Ram Ki Bhakti, Soch Sankat Nivariye, Mud-Marakat Rog-Barinidhi Heri Hare, Jiv-Jamvant Ko Bharoso Tero Bhariye.

May love for Lord Rama, his courage, and devotion dispel all difficulties, May you defeat the diseases and afflictions that trouble us, and may we trust in you just as Jambavan had trust in you.

Koodiye Kripal Tulsi Suprem-Pabbayaten, Suthal Subel Bhalu Baithi Kai Bichariye, Mahabir Bankure Baraki Baanhu-Peer Kyon Na, Lankini Jyon Laat-Ghaat Hi Morori Mariye.

Oh merciful Tulsi, who leaps with divine love, please sit and contemplate with the calm and gentle bear, Oh great warrior Bankura, why not tear apart the enemies with your massive arm like Lankini was defeated by a single blow.

लोक-परलोकहुँ तिलोक न बिलोकियत, तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये।

कर्म, काल, लोकपाल, अग-जग जीवजाल, नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये।।

खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर, तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये।

बात तरुमूल बाँहुसूल कपिकच्छु-बेलि, उपजी सकेलि कपिकेलि ही उखारिये।। २४।।

हिंदी अनुवाद: – लोक, परलोक और तीनों लोकों में चारों नेत्रों से देखता हूँ, आपके समान योग्य कोई नहीं दिखायी देता। हे नाथ ! कर्म, काल, लोकपाल तथा सम्पूर्ण स्थावर-जंगम जीवसमूह आपके हू हाथ में हैं, अपनी महिमा को विचारिये। हे देव ! तुलसी आपका निजी सेवक है, उसके हृदय में आपका निवास है और वह भारी दुःखी दिखायी देता है। वात-व्याधि-जनित बाहु की पीड़ा केवाँच की लता के समान है, उसकी उत्पन्न हुई जड़ को बटोरकर वानरी खेल से उखाड़ डालिये।। २४।।

Meaning:

Lok-Parlokahun Tilok Na Bilokiyat, Tose Samarath Chash Charuhu Nihariye, Karma, Kaal, Lokapal, Ag-Jag Jeevjaal, Nath Haath Sab Nij Mahima Bichariye.

You are the all-powerful one who sees and knows everything, both in this world and beyond, please look upon me with your grace. Consider your own greatness, Oh Lord, who controls destiny, time, the universe, and all living beings.

Khaas Daas Raavro, Nivaas Tero, Taasu Ur, Tulsi So Dev Dukhi Dekhiyat Bhariye, Baath Tarumool Baanhusool Kapikachhu-Beli, Upaji Sakeli Kapikeli Hi Ukhaariye.

I am a special servant of yours, Oh Lord, and your abode is within me. Tulsi, your devotee, sees your divine presence even in his sorrows. Oh one who resides in the roots of trees, in the arms of rocks, and on the Kapikachhu vine, your power grows everywhere and manifests itself in various forms.

करम-कराल-कंस भूमिपाल के भरोसे, बकी बकभगिनी काहू तें कहा डरैगी।

बड़ी बिकराल बाल घातिनी न जात कहि, बाँहूबल बालक छबीले छोटे छरैगी।।

आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि देख, पाप जाय सबको गुनी के पाले परैगी।

पूतना पिसाचिनी ज्यौं कपिकान्ह तुलसी की, बाँहपीर महाबीर तेरे मारे मरैगी।। २५।।

हिंदी अनुवाद: – कर्मरुपी भयंकर कंसराजा के भरोसे बकासुर की बहिन पूतना राक्षसी क्या किसी से डरेगी ? बालकों को मारने में बड़ी भयावनी, जिसकी लीला कही नहीं जाती है, वह अपने बाहुबल से छोटे छबिमान् शिशुओं को छलेगी। आप ही विचारकर देखिये, वह सुन्दर रूप बनाकर आयी है, यदि आप-सरीखे गुणी के पाले पड़ेगी तो सभी का पाप दूर हो जायेगा। हे महाबली कपिराज ! तुलसी की बाहु की पीड़ा पूतना पिशाचिनी के समान है और आप बालकृष्ण-रुप हैं, यह आपके ही मारने से मरेगी।। २५।।

Meaning:

The fearsome and powerful ruler of the universe, Lord Brahma, depends on karma, time, and the guardians of the world. What then can the poor and helpless do?

Even the fierce and terrifying demons cannot harm a child who is protected by Lord Ram’s strength. The tiny arms of a young boy can defeat even the strongest enemies.

When disguised as Putana, the demoness could not even harm baby Krishna, who is the protector of all. All sins will be destroyed by the touch of his feet.

Just as the demon Putana was defeated by little Krishna, the great warrior Tulsi’s arms will crush the enemies who dare to challenge him.

भालकी कि कालकी कि रोष की त्रिदोष की है, बेदन बिषम पाप ताप छल छाँह की।

करमन कूट की कि जन्त्र मन्त्र बूट की, पराहि जाहि पापिनी मलीन मन माँह की।।

पैहहि सजाय, नत कहत बजाय तोहि, बाबरी न होहि बानि जानि कपि नाँह की।

आन हनुमान की दुहाई बलवान की, सपथ महाबीर की जो रहै पीर बाँह की।। २६।।

हिंदी अनुवाद: – यह कठिन पीड़ा कपाल की लिखावट है या समय, क्रोध अथवा त्रिदोष का या मेरे भयंकर पापों का परिणाम है, दुःख किंवा धोखे की छाया है। मारणादि प्रयोग अथवा यन्त्र-मन्त्र रुपी वृक्ष का फल है; अरी मन की मैली पापिनी पूतना ! भाग जा, नहीं तो मैं डंका पीटकर कहे देता हूँ कि कपिराज का स्वभाव जानकर तू पगली न बने। जो बाहु की पीड़ा रहे तो मैं महाबीर बलवान् हनुमान् जी की दोहाई और सौगन्ध करता हूँ अर्थात् अब वह नहीं रह सकेगी।। २६।।

Meaning:

Bhalki Ki Kalki Ki Rosh Ki Tridos Ki Hai, Bedan Bisham Pap Tap Chhal Chaah Ki. Karaman Koot Ki Ki Jantra Mantra Boot Ki, Paraahi Jaahi Paapini Malin Man Maah Ki. Paihahi Sajay, Nat Kahat Bajay Tohi, Babri Na Hohi Bani Jaani Kapi Naah Ki. Aan Hanuman Ki Duhai Balwaan Ki, Sapath Mahabir Ki Jo Rahai Peer Baah Ki.

The anger of Bhalki and Kalki and the tridosha (three faults) brings pain, poison, sin, and the deceitful desires of the mind. The tricks of karma, machines, mantras, and herbs, purify the impure mind of the sinner. Do not speak ill or play music in front of Bhalki, as she is not aware of the words of the monkey. Oh Hanuman, the powerful one, I pray to you for strength, the one who bears the weight of pain and sorrow with a pledge of great bravery.

सिंहिका सँहारि बल, सुरसा सुधारि छल, लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है।

लंक परजारि मकरी बिदारि बारबार, जातुधान धारि धूरिधानी करि डारी है।।

तोरि जमकातरि मंदोदरी कढ़ोरि आनी, रावन की रानी मेघनाद महँतारी है।

भीर बाँह पीर की निपट राखी महाबीर, कौन के सकोच तुलसी के सोच भारी है।। २७।।

हिंदी अनुवाद: – सिंहिका के बल का संहार करके सुरसा के छल को सुधार कर लंकिनी को मार गिराया और अशोक-वाटिका को उजाड़ डाला। लंकापुरी को विनाश किया। यमराज का खड्ग अर्थात् परदा फाड़कर मेघनाद की माता और रावण की पटरानी को राजमहल से बाहर निकाल लाये। हे महाबली कपिराज ! तुलसी को बड़ा सोच है, किसके संकोच में पड़कर आपने केवल मेरे बाहु की पीड़ा के भय को छोड़ रखा है।। २७।।

Meaning:

Sinhiika Sanhaari Bal, Surasaa Sudhaari Chhal, Lankinii Pachhaari Maari Baatikaa Ujaari Hai. Lank Parajaari Makarii Bidaari Baarabaar, Jaatudhaan Dhaari Dhuuridhaanii Kari Dhaarii Hai. Tori Jamakaatar MandoDarii Kadhor Aanii, Raavan Kii Raanii Meghanaad Mahantaarii Hai. Bhiir Baanh Piir Kii Nipat Raakhi Mahabiir, Kaun Ke Sakoch Tulsii Ke Soch Bhaarii Hai.

The lioness Sinhika is defeated by her strength, Surasa is purified by her deceit, and Lankini is killed by her powers. Lanka is attacked repeatedly by crocodiles and destroyed, and Jaatayu carries the weight of the dust of the battle. Mandodari, the queen of Ravana, is captured and her fortitude is broken, while Meghnath, the great warrior, is defeated. Mahavir, the courageous one, takes care of the fears and pain, and who can understand the depth of Tulsidas’ thoughts?

तेरो बालि केलि बीर सुनि सहमत धीर, भूलत सरीर सुधि सक्र-रबि-राहु की।

तेरी बाँह बसत बिसोक लोकपाल सब, तेरो नाम लेत रहै आरति न काहु की।।

साम दान भेद बिधि बेदहू लबेद सिधि, हाथ कपिनाथ ही के चोटी चोर साहु की।

आलस अनख परिहास कै सिखावन है, एते दिन रही पीर तुलसी के बाहु की।। २८।।

हिंदी अनुवाद: – हे वीर ! आपके लड़कपन का खेल सुनकर धीरजवान् भी भयभीत हो जाते हैं और इन्द्र, सूर्य तथा राहु अपने शरीर की सुध भुला जाती है। आपके बाहुबाल से सब लोकपाल शोकरहित होकर बसते हैं और आपका नाम लेने से किसी का दुःख नहीं रह जाता। साम, दान और भेद-नीति का विधान तथा वेद-लवेद से भी सिद्ध है कि चोर-साहु की चोटी कपिनाथ के ही हाथ में रहती है। तुलसीदास के जो इतने दिन बाहु की पीड़ा रही है सो क्या आपका आलस्य है अथवा क्रोध, परिहास या शिक्षा है।। २८।।

Meaning:

Tero Bali Keli Beer Suni Sahamat Dheer, Bhoolat Sareer Sudhi Sakra-Rabi-Rahu Ki. Teri Baanh Basat Bisok Lokpaal Sab, Tero Naam Let Rahai Aarti Na Kahuh Ki. Saam Daan Bhed Bidhi Bedahoo Labed Sidhi, Haath Kapinath Hi Ke Choti Chor Sahuh Ki. Aalas Anakh Parihaas Kai Sikhavan Hai, Ete Din Rahi Peer Tulsi Ke Baahu Ki.

Listening to your brave feat, Bali, I agree with patience, forgetting my body, seeking the wisdom of the Sun, Moon, and Rahu. All the guardians of the world reside in your arms, and your name is sung in worship by all. The path of charity, diplomacy, discrimination, and spiritual success, are all within the grasp of Kapinath (Hanuman), the lord of monkeys. Teaching laziness and arrogance, these days the weight of pain has remained on the shoulders of Tulsi.

टूकनि को घर-घर डोलत कँगाल बोलि, बाल ज्यों कृपाल नतपाल पालि पोसो है।

कीन्ही है सँभार सार अँजनी कुमार बीर, आपनो बिसारि हैं न मेरेहू भरोसो है।।

इतनो परेखो सब भाँति समरथ आजु, कपिराज साँची कहौं को तिलोक तोसो है।

सासति सहत दास कीजे पेखि परिहास, चीरी को मरन खेल बालकनि को सो है।। २९।।

हिंदी अनुवाद: – हे गरीबों के पालन करने वाले कृपानिधान ! टुकड़े के लिये दरिद्रतावश घर-घर मैं डोलता-फिरता था, आपने बुलाकर बालक के समान मेरा पालन-पोषण किया है। हे वीर अंजनीकुमार ! मुख्यतः आपने ही मेरी रक्षा की है, अपने जन को आप न भुलायेंगे, इसका मुझे भी भरोसा है। हे कपिराज ! आज आप सब प्रकार समर्थ हैं, मैं सच कहता हूँ, आपके समान भला तीनों लोकों में कौन है ? किंतु मुझे इतना परेखा (पछतावा) है कि यह सेवक दुर्दशा सह रहा है, लड़कों के खेलवाड़ होने के समान चिड़िया की मृत्यु हो रही है और आप तमाशा देखते हैं।। २९।।

Meaning:

Tukani Ko Ghar-Ghar Dolat Kangal Boli, Bal Jyon Kripal Natpal Pali Poso Hai. Kini Hai Sambhar Sar Anjani Kumara Bir, Apno Bisari Hai Na Merehu Bharoso Hai. Itno Parekho Sab Bhaanti Samarth Aaju, Kapi Raj Sanchi Kahon Ko Tilok Toso Hai. Sasati Sahat Daas Kije Pekhi Parihaas, Cheeri Ko Marn Khel Balakani Ko So Hai.

Tukani roams door to door, speaking like a beggar. She nurtures and protects children like a compassionate mother. Anjani’s son, the brave warrior, is capable of everything. He forgets his own needs but never breaks his promises. Behold his greatness in every way, he is the true king of monkeys, revered by all. Mocking the servant is a game for the cowardly, but for the child it is a matter of life and death.

आपने ही पाप तें त्रिपात तें कि साप तें, बढ़ी है बाँह बेदन कही न सहि जाति है।

औषध अनेक जन्त्र मन्त्र टोटकादि किये, बादि भये देवता मनाये अधिकाति है।।

करतार, भरतार, हरतार, कर्म काल, को है जगजाल जो न मानत इताति है।

चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो राम दूत, ढील तेरी बीर मोहि पीर तें पिराति है।। ३०।।

हिंदी अनुवाद: – मेरे ही पाप वा तीनों ताप अथवा शाप से बाहु की पीड़ा बढ़ी है, वह न कही जाती और न सही जाती है। अनेक औषधि, यन्त्र-मन्त्र-टोटकादि किये, देवताओं को मनाया, पर सब व्यर्थ हुआ, पीड़ा बढ़ती ही जाती है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, कर्म, काल और संसार का समूह-जाल कौन ऐसा है जो आपकी आज्ञा को न मानता हो। हे रामदूत ! तुलसी आपका दास है और आपने इसको अपना सेवक कहा है। हे वीर ! आपकी यह ढील मुझे इस पीड़ा से भी अधिक पीड़ित कर रही है।। ३०।।

Meaning:

Tukani Ko Ghar-Ghar Dolat Kangal Boli, Bal Jyon Kripal Natpal Pali Poso Hai. Kini Hai Sambhar Sar Anjani Kumara Bir, Apno Bisari Hai Na Merehu Bharoso Hai. Itno Parekho Sab Bhaanti Samarth Aaju, Kapi Raj Sanchi Kahon Ko Tilok Toso Hai. Sasati Sahat Daas Kije Pekhi Parihaas, Cheeri Ko Marn Khel Balakani Ko So Hai.

Tukani roams door to door, speaking like a beggar. She nurtures and protects children like a compassionate mother. Anjani’s son, the brave warrior, is capable of everything. He forgets his own needs but never breaks his promises. Behold his greatness in every way, he is the true king of monkeys, revered by all. Mocking the servant is a game for the cowardly, but for the child it is a matter of life and death.

दूत राम राय को, सपूत पूत बाय को, समत्व हाथ पाय को सहाय असहाय को।

बाँकी बिरदावली बिदित बेद गाइयत, रावन सो भट भयो मुठिका के घाय को।।

एते बड़े साहेब समर्थ को निवाजो आज, सीदत सुसेवक बचन मन काय को।

थोरी बाँह पीर की बड़ी गलानि तुलसी को, कौन पाप कोप, लोप प्रकट प्रभाय को।। ३१।।

हिंदी अनुवाद: – आप राजा रामचन्द्र के दूत, पवनदेव के सत्पुत्र, हाथ-पाँव के समर्थ और निराश्रितों के सहायक हैं। आपके सुन्दर यश की कथा विख्यात है, वेद गान करते हैं और रावण-जैसा त्रिलोक-विजयी योद्धा आपके घूँसे की चोट से घायल हो गया। इतने बड़े योग्य स्वामी के अनुग्रह करने पर भी आपका श्रेष्ठ सेवक आज तन-मन-वचन से दुःख पा रहा है। तुलसी को इस थोड़ी-सी बाहु-पीड़ा की बड़ी ग्लानि है, मेरे कौन-से पाप के कारण वा क्रोध से आपका प्रत्यक्ष प्रभाव लुप्त हो गया है ?।। ३१।।

Meaning:

Doot Ram Ray Ko, Saput Poot Bay Ko, Samatv Hath Pay Ko Sahay Asahay Ko. Banki Biradavali Bidit Bed Gaiyat, Ravan So Bhat Bhayo Muthika Ke Ghay Ko. Ete Bade Sahab Samarth Ko Nivajo Aaj, Seedat Susevak Bachan Man Kay Ko. Thorri Bahn Peer Ki Badi Galani Tulsi Ko, Kaun Pap Kop, Lop Prakat Prabhay Ko.

Messenger Ram, son of King Dasharatha, is the helper of both his own and others’ sons. He has the power to help both the able and the disabled. The Vedas sing the glories of Lord Rama and the devils tremble in fear like dust before him. Let us all offer our respects to the mighty Lord Rama today, and let his devotees be steadfast in their thoughts and actions. Tulsi (a devotee of Lord Rama) bears the burden of pain with open arms, who can reveal the sins and reveal the glory of the Lord.

देवी देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग, छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं।

पूतना पिसाची जातुधानी जातुधान बाम, राम दूत की रजाइ माथे मानि लेत हैं।।

घोर जन्त्र मन्त्र कूट कपट कुरोग जोग, हनुमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं।

क्रोध कीजे कर्म को प्रबोध कीजे तुलसी को, सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत हैं।। ३२।।

हिंदी अनुवाद: – देवी, देवता, दैत्य, मनुष्य, मुनि, सिद्ध और नाग आदि छोटे-बड़े जितने जड़-चेतन जीव हैं तथा पूतना, पिशाचिनी, राक्षसी-राक्षस जितने कुटिल प्राणी हैं, वे सभी रामदूत पवनकुमार की आज्ञा शिरोधार्य करके मानते हैं। भीषण यन्त्र-मन्त्र, धोखाधारी, छलबाज और दुष्ट रोगों के आक्रमण हनुमान् जी की दोहाई सुनकर स्थान छोड़ देते हैं। मेरे खोटे कर्म पर क्रोध कीजिये, तुलसी को सुखावन दीजिये और जो दोष हमें दुःख देते हैं, उनका सुधार करिये।। ३२।।

Meaning:

Devi Dev Danuj Manuj Muni Siddh Nag, Chhote Bade Jeev Jete Chetan Achet Hain. Putana Pisachi Jatudhani Jatudhan Baam, Ram Doot Ki Rajai Maathe Mani Let Hain. Ghor Jantra Mantra Koot Kapata Kurog Jog, Hanuman Aan Suni Chhadata Niket Hain. Krodh Kijiye Karma Ko Prabodh Kijiye Tulsi Ko, Sodh Kijiye Tinako Jo Dosh Dukh Det Hain.

Oh goddess, you are worshiped by gods, demons, humans, sages, and snakes, all living beings, conscious and unconscious. Putana, Pishachini, Jatudhani, Jatudhan, and Baam, all bow to the power of Lord Ram’s messenger. The intense machines, mantras, deceit, disease, and yogic practices are all dispelled by listening to the call of Hanuman and going to his abode. Control your anger, awaken your karma, purify Tulsi, and remove the faults that cause pain.

तेरे बल बानर जिताये रन रावन सों, तेरे घाले जातुधान भये घर-घर के।

तेरे बल रामराज किये सब सुरकाज, सकल समाज साज साजे रघुबर के।।

तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत, सजल बिलोचन बिरंचि हरि हर के।

तुलसी के माथे पर हाथ फेरो कीसनाथ, देखिये न दास दुखी तोसो कनिगर के।। ३३।।

हिंदी अनुवाद: – आपके बल ने युद्ध में वानरों को रावण से जिताया और आपके ही नष्ट करने से राक्षस घर-घर के (तीन-तेरह) हो गये। आपके ही बल से राजा रामचन्द्रजी ने देवताओं का सब काम पूरा किया और आपने ही रघुनाथजी के समाज का सम्पूर्ण साज सजाया। आपके गुणों का गान सुनकर देवता रोमांचित होते हैं और ब्रह्मा, विष्णु, महेश की आँखों में जल भर आता है। हे वानरों के स्वामी ! तुलसी के माथे पर हाथ फेरिये, आप-जैसे अपनी मर्यादा की लाज रखने वालों के दास कभी दुःखी नहीं देखे गये।। ३३।।

Meaning:

Tere Bal Banar Jitaye Ran Ravan Son, Tere Ghale Jatudhan Bhaye Ghar-Ghar Ke, Tere Bal Ramraj Kiye Sab Surkaj, Sakal Samaj Saj Saje Raghubar Ke.

With your strength, Lord Hanuman, you defeated Ravana in battle, and your name became renowned in every household. With your strength, Lord Rama accomplished all of his tasks, and the whole society was adorned in his glory.

Hearing your praises, Giridhar (Krishna) feels a thrill, and even Brahma and Shiva meditate on you. Tulsi begs you to place your hand on his forehead, so that he can see no sorrow as your servant forever.

पालो तेरे टूक को परेहू चूक मूकिये न, कूर कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये।

भोरानाथ भोरे ही सरोष होत थोरे दोष, पोषि तोषि थापि आपनी न अवडेरिये।।

अँबु तू हौं अँबुचर, अँबु तू हौं डिंभ सो न, बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये।

बालक बिकल जानि पाहि प्रेम पहिचानि, तुलसी की बाँह पर लामी लूम फेरिये।। ३४।।

हिंदी अनुवाद: – आपके टुकड़ों से पला हूँ, चूक पड़ने पर भी मौन न हो जाइये। मैं कुमार्गी दो कौड़ी का हूँ, पर आप अपनी ओर देखिये। हे भोलेनाथ ! अपने भोलेपन से ही आप थोड़े से रुष्ट हो जाते हैं, सन्तुष्ट होकर मेरा पालन करके मुझे बसाइये, अपना सेवक समझकर दुर्दशा न कीजिये। आप जल हैं तो मैं मछली हूँ, आप माता हैं तो मैं छोटा बालक हूँ, देरी न कीजिये, मुझको आपका ही सहारा है। बच्चे को व्याकुल जानकर प्रेम की पहचान करके रक्षा कीजिये, तुलसी की बाँह पर अपनी लम्बी पूँछ फेरिये (जिससे पीड़ा निर्मूल हो जावे)।। ३४।।

Meaning:

Palo Tere Took Ko Parehu Chook Mukkiye Na, Koor Kaudi Dooko Haun Aapni Or Heriye, Bhoranath Bhoore Hi Sarosh Hot Thore Dosh, Poshi Toshi Thapi Aapni Na Avderiye.

Please do not make any mistakes in taking care of your responsibility. Do not turn your face away from your duties like a coward, even if you have to spend every last penny. Bhoranath, despite his faults, is a true master. Do not underestimate his generosity and kindness.

Ambu Tu Haun Ambuchar, Ambu Tu Haun Dimbh So, Bujhiye Bilamb Avalamb Mere Teriye. You are the wave, and you are also the ocean. Do not be confused by the delays and obstacles, just know that you are always with me.

Balak Bikal Jaani Pahi Prem Pahani, Tulsi Ki Baanh Par Laami Loom Feriye. Recognize the love of the innocent child, Balak Bikal, and wrap yourself around the arm of Tulsi.

घेरि लियो रोगनि, कुजोगनि, कुलोगनि ज्यौं, बासर जलद घन घटा धुकि धाई है।

बरसत बारि पीर जारिये जवासे जस, रोष बिनु दोष धूम-मूल मलिनाई है।।

करुनानिधान हनुमान महा बलवान, हेरि हँसि हाँकि फूँकि फौजैं ते उड़ाई है।

खाये हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि, केसरी किसोर राखे बीर बरिआई है।। ३५।।

हिंदी अनुवाद: – रोगों, बुरे योगों और दुष्ट लोगों ने मुझे इस प्रकार घेर लिया है जैसे दिन में बादलों का घना समूह झपटकर आकाश में दौड़ता है। पीड़ा-रुपी जल बरसाकर इन्होंने क्रोध करके बिना अपराध यशरुपी जवासे को अग्नि की तरह झुलसकर मूर्च्छित कर दिया है। हे दया-निधान महाबलवान् हनुमान् जी ! आप हँसकर निहारिये और ललकारकर विपक्ष की सेना को अपनी फूँक से उड़ा दीजिये। हे केशरीकिशोर वीर ! तुलसी को कुरोग-रुपी निर्दय राक्षस ने खा लिया था, आपने जोरावरी से मेरी रक्षा की है।। ३५।।

Meaning:

Gheri Liyo Rogani, Kujogani, Kulogani Jyoun, Basar Jalad Ghan Ghata Dhuki Dhai Hai, Barsat Bari Peer Jariye Javase Jas, Rosh Binu Dosh Dhoom-Mool Malinai Hai. Krunanidhan Hanuman Maha Balwan, Heri Hansi Haanki Phoonki Faujain Te Udaai Hai. Khaaye Huto Tulsi Kurog Raadh Rakshan, Kesari Kisor Rakhe Bir Bariyai Hai.

Diseases, bad times, and family problems surround me like dark clouds in the sky, causing me great distress. As the rains of pain pour down, anger only adds to the filth and pollution at the root of the problem. Oh Hanuman, the treasure trove of compassion and great strength, with a fierce roar, you scatter and defeat the enemy’s armies.

Tulsi has said that by eating your offerings, diseases and demonic influences are cured, and Kesari’s son, the valiant warrior, protects with great valor.

सवैया-

राम गुलाम तु ही हनुमान गोसाँई सुसाँई सदा अनुकूलो।

पाल्यो हौं बाल ज्यों आखर दू पितु मातु सों मंगल मोद समूलो।।

बाँह की बेदन बाँह पगार पुकारत आरत आनँद भूलो।

श्री रघुबीर निवारिये पीर रहौं दरबार परो लटि लूलो।। ३६।।

हिंदी अनुवाद: – हे गोस्वामी हनुमान् जी ! आप श्रेष्ठ स्वामी और सदा श्रीरामचन्द्रजी के सेवकों के पक्ष में रहने वाले हैं। आनन्द-मंगल के मूल दोनों अक्षरों (राम-राम) – ने माता-पिता के समान मेरा पालन किया है। हे बाहुपगार (भुजाओं का आश्रय देने वाले)! बाहु की पीड़ा से मैं सारा आनन्द भुलाकर दुःखी होकर पुकार रहा हूँ। हे रघुकुल के वीर ! पीड़ा को दूर कीजिये, जिससे दुर्बल और पंगु होकर भी आपके दरबार में पड़ा रहूँ।। ३६।।

Meaning:

Ram Gulam Tu Hi Hanuman Gosai, Susai Sada Anukulo, Palyo Haun Bal Jyon Aakhar Doo, Pitu Matu Son Mangal Mod Samulo. Banh Ki Bedan Banh Pagar Pukarat, Aarat Anand Bhulo, Shri Raghuvir Nivariye Peer Rahaun, Darbar Paro Lati Lulo.

Oh Hanuman, you are the servant of Lord Ram and always favorably disposed towards him. Just as a father and mother take care of their child, you have also taken care of me and brought happiness to my life.

In times of pain and distress, I have called out to you and you have brought me comfort and joy. Please remove all my sufferings and afflictions, and make me lie at the feet of Shri Raghuvir (Lord Ram) in his divine court.

घनाक्षरी-

काल की करालता करम कठिनाई कीधौं, पाप के प्रभाव की सुभाय बाय बावरे।

बेदन कुभाँति सो सही न जाति राति दिन, सोई बाँह गही जो गही समीर डाबरे।।

लायो तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि, सींचिये मलीन भो तयो है तिहुँ तावरे।

भूतनि की आपनी पराये की कृपा निधान, जानियत सबही की रीति राम रावरे।। ३७।।

हिंदी अनुवाद: – न जाने काल की भयानकता है कि कर्मों की कठीनता है, पाप का प्रभाव है अथवा स्वाभाविक बात की उन्मत्तता है। रात-दिन बुरी तरह की पीड़ा हो रही है, जो सही नहीं जाती और उसी बाँह को पकड़े हुए हैं जिसको पवनकुमार ने पकड़ा था। तुलसीरुपी वृक्ष आपका ही लगाया हुआ है। यह तीनों तापों की ज्वाला से झुलसकर मुरझा गया है, इसकी ओर निहारकर कृपारुपी जल से सींचिये। हे दयानिधान रामचन्द्रजी आप भूतों की, अपनी और विरानेकी सबकी रीति जानते हैं।। ३७।।

Meaning:

Kaala ki karaaltta karam kathinaai kii dhau, paap ke prabhaav kii subhaay baae baavare, Bedan kubhaanti so sahi na jaati raati din, soi baanah gahi jo gahi samiir daabare.

The fierceness of time, and the difficulty of deeds, are understood only by the foolish who are affected by the influence of sins. Pain and suffering cannot be avoided, whether it is day or night. One who holds onto the wind is holding onto the ungraspable.

Laayo taru Tulsii tiharo so nihaari baari, seenchiyae malin bho tayo hai tihun taavare, Bhootani ki aapni paraaye ki kripa nidhaan, jaaniyat sabhi ki reeti Raam Ravaare.

Look at the beauty of the tree of Tulsi, and water it. It may be dirty, but it still stands tall. The Lord of all, whether they are his own or others, is the treasure of mercy. Everyone should know the way of Ram, the Lord of all.

पाँय पीर पेट पीर बाँह पीर मुँह पीर, जरजर सकल पीर मई है।

देव भूत पितर करम खल काल ग्रह, मोहि पर दवरि दमानक सी दई है।।

हौं तो बिनु मोल के बिकानो बलि बारेही तें, ओट राम नाम की ललाट लिखि लई है।

कुँभज के किंकर बिकल बूढ़े गोखुरनि, हाय राम राय ऐसी हाल कहूँ भई है।। ३८।।

हिंदी अनुवाद: – पाँव की पीड़ा, पेट की पीड़ा, बाहु की पीड़ा और मुख की पीड़ा – सारा शरीर पीड़ामय होकर जीर्ण-शीर्ण हो गया है। देवता, प्रेत, पितर, कर्म, काल और दुष्टग्रह – सब साथ ही दौरा करके मुझ पर तोपों की बाड़-सी दे रहे हैं। बलि जाता हूँ। मैं तो लड़कपन से ही आपके हाथ बिना मोल बिका हुआ हूँ और अपने कपाल में रामनाम का आधार लिख लिया है। हाय राजा रामचन्द्रजी ! कहीं ऐसी दशा भी हुई है कि अगस्त्य मुनि का सेवक गाय के खुर में डूब गया हो।। ३८।।

Meaning:

Pain in my feet, pain in my stomach, pain in my arms, pain in my mouth, I am plagued with all kinds of pain. Gods, ghosts, ancestors, karma, deceitful people, time, and the planets have all conspired to trouble me.

Without any price, I have offered myself as a sacrifice. I have written the name of Lord Ram on my forehead. I am like a servant of Kumbhaj, a decrepit old man with a bent back and thorny bushes for hair. Oh Lord Ram, this is my state

बाहुक-सुबाहु नीच लीचर-मरीच मिलि, मुँहपीर केतुजा कुरोग जातुधान हैं।

राम नाम जगजाप कियो चहों सानुराग, काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान हैं।।

सुमिरे सहाय राम लखन आखर दोऊ, जिनके समूह साके जागत जहान हैं।

तुलसी सँभारि ताड़का सँहारि भारि भट, बेधे बरगद से बनाइ बानवान हैं।। ३९।।

हिंदी अनुवाद: – बाहु की पीड़ा रूप नीच सुबाहु और देह की अशक्तिरुप मारीच राक्षस और ताड़कारुपिणी मुख की पीड़ा एवं अन्यान्य बुरे रोगरुप राक्षसों से मिले हुए हैं। मैं रामनाम का जपरुपी यज्ञ प्रेम के साथ करना चाहता हूँ, पर कालदूत के समान ये भूत क्या मेरे काबू के हैं ? (कदापि नहीं।) संसार में जिनकी बड़ी नामवरी हो रही है वे (रा और म) दोनों अक्षर स्मरण करने पर मेरी सहायता जरेंगे। हे तुलसी ! तु ताड़का का वध करने वाले भारी योद्धा का स्मरण के, वह इन्हें अपने बाण का निशाना बनाकर बड़ के फल के समान भेदन (स्थान-च्युत) कर देंगे।। ३९।।

Meaning:

Bahuk-subahu nich lechar-marich mili, muhpeer ketuja kurog jatudhan hain, Ram naam jagjaap kiyo chahon sanurag, kaal kaise dut bhoot kaha mere maan hain.

The lowly, despicable creatures like Bahuk-Subahu, Lechar-Marich, and Ketuja are suffering from various diseases. By chanting the name of Lord Rama with love, all the messengers of death and time have been defeated.

Sumire sahay Ram Lakhana akhar dou, jinke samuh sake jagat jahan hain. Tulsi has composed this verse with the aim of destroying Tadka, protecting the earth, and creating an arrow from the banyan tree.

By remembering the names of Lord Ram and Lakhana, the entire world can be saved from destruction. Tulsi prays for the strength to overcome all obstacles in the path of righteousness.

बालपने सूधे मन राम सनमुख भयो, राम नाम लेत माँगि खात टूकटाक हौं।

परयो लोक-रीति में पुनीत प्रीति राम राय, मोह बस बैठो तोरि तरकि तराक हौं।।

खोटे-खोटे आचरन आचरत अपनायो, अंजनी कुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं।

तुलसी गुसाँई भयो भोंडे दिन भूल गयो, ताको फल पावत निदान परिपाक हौं।। ४०।।

हिंदी अनुवाद: – मैं बाल्यावस्था से ही सीधे मन से श्रीरामचन्द्रजी के सम्मुख हुआ, मुँह से राम नाम लेता टुकड़ा-टुकड़ी माँगकर खाता था। (फिर युवावस्था में) लोकरीति में पड़कर अज्ञानवश राजा रामचन्द्रजी के चरणों की पवित्र प्रीति को चटपट (संसार में) कूदकर तोड़ बैठा। उस समय, खोटे-खोटे आचरणों को करते हुए मुझे अंजनीकुमार ने अपनाया और रामचन्द्रजी के पुनीत हाथों से मेरा सुधार करवाया। तुलसी गोसाईं हुआ, पिछले खराब दिन भुला दिये, आखिर उसी का फल आज अच्छी तरह पा रहा हूँ।। ४०।।

Meaning:

Balapane sudhe man Ram sanmukh bhayo, Ram naam let mangi khaat tookatak haun, Parayo lok-reeti mein punnit preeti Ram raay, moh bas baitho tori taraki taraak haun. Khotey-khotey aacharan acharat apanayo, Anjani kumar sodhyo Rampani paak haun, Tulsi gusaai bhayo bhonde din bhool gayo, taako phal paavat nidaan paripak haun.

As a child, my mind turned towards Ram and I began to chant his name while begging for food, Through the traditions of society, my love for Ram was purified. I now sit and dwell in his delusion-shattering presence. I have adopted the practice of speaking only the truth, and Anjani’s son Ram has purified my tongue. Tulsi became the servant of the Lord and forgot about his own ego, and by doing so, he attained the fruit of his actions.

असन-बसन-हीन बिषम-बिषाद-लीन, देखि दीन दूबरो करै न हाय हाय को।

तुलसी अनाथ सो सनाथ रघुनाथ कियो, दियो फल सील सिंधु आपने सुभाय को।।

नीच यहि बीच पति पाइ भरु हाईगो, बिहाइ प्रभु भजन बचन मन काय को।

ता तें तनु पेषियत घोर बरतोर मिस, फूटि फूटि निकसत लोन राम राय को।। ४१।।

हिंदी अनुवाद: – जिसे भोजन-वस्त्र से रहित भयंकर विषाद में डूबा हुआ और दीन-दुर्बल देखकर ऐसा कौन था जो हाय-हाय नहीं करता था, ऐसे अनाथ तुलसी को दयासागर स्वामी रघुनाथजी ने सनाथ करके अपने स्वभाव से उत्तम फल दिया। इस बीच में यह नीच जन प्रतिष्ठा पाकर फूल उठा (अपने को बड़ा समझने लगा) और तन-मन-वचन से रामजी का भजन छोड़ दिया, इसी से शरीर में से भयंकर बरतोर के बहाने रामचन्द्रजी का नमक फूट-फूटकर निकलता दिखायी दे रहा है।। ४१।।

Meaning:

Asan-basan-hin bisham-bishad-leen, Dekhi deen doobaro karai na hay hay ko, Tulsi anath so sanath raghunath kiyo, Diyo phal seel sindhu aapne subhaye ko.

Devoid of any comfort or support, I am immersed in a sea of sorrow, crying out in pain. Tulsi made the orphan, Raghunath, his protector and gave him the fruit of his devotion.

Lost and alone, I wander in the midst of lowly men, seeking refuge in the words and teachings of God. Through this harsh and difficult journey, I hope to emerge as a loyal servant of Lord Rama.

जीओं जग जानकी जीवन को कहाइ जन, मरिबे को बारानसी बारि सुरसरि को।

तुलसी के दुहूँ हाथ मोदक हैं ऐसे ठाँउ, जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरि को।।

मोको झूटो साँचो लोग राम को कहत सब, मेरे मन मान है न हर को न हरि को।

भारी पीर दुसह सरीर तें बिहाल होत, सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करि को।। ४२।।

हिंदी अनुवाद: – जानकी-जीवन रामचन्द्रजी का दास कहलाकर संसार में जीवित रहूँ और मरने के लिये काशी तथा गंगाजल अर्थात् सुरसरि तीर है। ऐसे स्थान में (जीवन-मरण से) तुलसी के दोनों हाथों में लड्डू है, जिसके जीने-मरने से लड़के भी सोच न करेंगे। सब लोग मुझको झूठा-सच्चा राम का ही दास कहते हैं और मेरे मन में भी इस बात का गर्व है कि मैं रामचन्द्रजी को छोड़कर न शिव का भक्त हूँ, न विष्णु का। शरीर की भारी पीड़ा से विकल हो रहा हूँ, उसको बिना रघुनाथजी के कौन दूर कर सकता है ?।। ४२।।

Meaning:

Jion Jag Janaki Jeevan Ko Kahai Jan, Maribe Ko Baranasi Bari Surasari Ko. Tulsi Ke Duhun Haath Modak Hain Aise Thaun, Jake Jiye Muye Soch Karahain Na Lari Ko.

Oh people, live your life by praising Lord Ram, and when you die, go to the holy city of Varanasi and the divine Surasari. Tulsi holds the sweet dumplings in both hands, in such a place where one should not even think of fighting.

Some people call Ram the ultimate truth, while others call it false. My heart knows no one but Ram. Even though my body is suffering from immense pain, only Lord Raghuvir can remove it.

सीतापति साहेब सहाय हनुमान नित, हित उपदेश को महेस मानो गुरु कै।

मानस बचन काय सरन तिहारे पाँय, तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुर कै।।

ब्याधि भूत जनित उपाधि काहु खल की, समाधि कीजे तुलसी को जानि जन फुर कै।

कपिनाथ रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ, रोग सिंधु क्यों न डारियत गाय खुर कै।। ४३।।

हिंदी अनुवाद: – हे हनुमान् जी ! स्वामी सीतानाथजी आपके नित्य ही सहायक हैं और हितोपदेश के लिये महेश मानो गुरु ही हैं। मुझे तो तन, मन, वचन से आपके चरणों की ही शरण है, आपके भरोसे मैंने देवताओं को देवता करके नहीं माना। रोग व प्रेत द्वारा उत्पन्न अथवा किसी दुष्ट के उपद्रव से हुई पीड़ा को दूर करके तुलसी को अपना सच्चा सेवक जानकर इसकी शान्ति कीजिये। हे कपिनाथ, रघुनाथ, भोलानाथ भूतनाथ ! रोगरुपी महासागर को गाय के खुर के समान क्यों नहीं कर डालते ?।। ४३।।

Sita’s Lord, Hanuman always helps and gives good advice like a true guru. I take refuge in your holy feet and rely on you alone, for I do not know the ways of the gods.

Please relieve me from the afflictions and troubles caused by the wicked. Tulsi asks for your guidance and blessings to attain peace.

O Lord of the monkeys, Lord of the Raghus, Lord of the innocent and Lord of all beings, why doesn’t the cow with her hooves, break the ocean of diseases?

कहों हनुमान सों सुजान राम राय सों, कृपानिधान संकर सों सावधान सुनिये।

हरष विषाद राग रोष गुन दोष मई, बिरची बिरंची सब देखियत दुनिये।।

माया जीव काल के करम के सुभाय के, करैया राम बेद कहैं साँची मन गुनिये।

तुम्ह तें कहा न होय हा हा सो बुझैये मोहि, हौं हूँ रहों मौनही बयो सो जानि लुनिये।। ४४।।

हिंदी अनुवाद: – मैं हनुमान् जी से, सुजान राजा राम से और कृपानिधान शंकरजी से कहता हूँ, उसे सावधान होकर सुनिये। देखा जाता है कि विधाता ने सारी दुनिया को हर्ष, विषाद, राग, रोष, गुण और दोषमय बनाया है। वेद कहते हैं कि माया, जीव, काल, कर्म और स्वभाव के करने वाले रामचन्द्रजी हैं। इस बात को मैंने चित्त में सत्य माना है। मैं विनती करता हूँ, मुझे यह समझा दीजिये कि आपसे क्या नहीं हो सकता। फिर मैं भी यह जानकर चुप रहूँगा कि जो बोया है वही काटता हूँ।। ४४।।

Kahon Hanuman So Sujan Ram Ray So, Kripa Nidhan Sankar So Savdhan Suniye. Harsha Vishad Rag Rosh Gun Dosh Mai, Birchhi Biranchi Sab Dekhiyat Duniye. Maya Jeev Kal Ke Karam Ke Subhay Ke, Karaiya Ram Ved Kahai Sanchi Man Guneye. Tumhen Teh Kaha Na Hoy Ha Ha So Bujhaiye Mohi, Haun Hoon Raho Maunahi Bayo So Jani Luneye.

Listen carefully, wise Hanuman, to the glories of Lord Ram, the ocean of compassion and Shankar, be alert and attentive. In this world, joy, sorrow, love, anger, virtues and flaws, are all seen as fleeting and temporary. The Vedas proclaim that the true nature of the mind is revealed by the actions one performs under the influence of maya, the individual soul, and time. I cannot express myself fully to you, but you understand my thoughts. Therefore, I remain silent and communicate with you through my mind.

हनुमान बाहुक की रचना के पीछे की कहानी

सन् 1664 विक्रमाब्द के दौरान, श्री गोस्वामी तुलसीदास जी की भुजाओं में वात-व्याधि उत्पन्न हो गई थी। इसके कारण उनके सारे शरीर में फोड़े-फुंसियां हो गई थीं और उन्हें गंभीर दर्द होने लगा था। वे कई तरह के उपचार करवाए लेकिन बीमारी बढ़ती ही जा रही थी।

अंत में, गोस्वामी तुलसीदास जी निराश हो गए थे और उन्हें निवृत्ति के लिए हनुमानजी की वंदना करने लगे। अंजनीकुमार श्री हनुमानजी की कृपा से, उनका दर्द बिल्कुल ठीक हो गया। इस प्रकार, गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘हनुमान बाहुक’ नामक प्रसिद्ध स्तोत्र की रचना की।

यह स्तोत्र 44 पदों से मिलकर बना है और असंख्य हरिभक्त श्री हनुमानजी के उपासक इसका नियमित पाठ करते हैं। इसके पाठ से उन्हें उनके वांछित मनोरथ पूरे होते हैं और वे प्रसन्नता से जीवन जीते हैं।

इस सद्यः फलदायक स्तोत्र को संकट के कठिन समय में पाठ करना, श्री रामभक्तों के लिए परमानन्ददायक होता है।

Prity Kumari

Prity Kumari

Prity Kumari is a passionate writer and researcher with a deep interest in Hindu mythology, spirituality, and culture. She holds a degree in Religious Studies and has been writing informative articles and blogs on various topics related to Hinduism and its practices for the past five years. At HanumanChalisaLyrics.org, Prity is dedicated to sharing valuable information and insights about the Hanuman Chalisa, one of the most revered hymns in Hinduism. She strives to provide accurate and comprehensive lyrics, translations, and interpretations of the Hanuman Chalisa to help readers understand its meaning and significance. Prity is also an avid traveler and has visited many holy places and temples across India. She draws inspiration from these experiences and incorporates them into her writing to offer a unique perspective on Hinduism and its practices. In addition to writing, Prity enjoys reading, meditation, and practicing yoga. She can be reached at prityroy9748@gmail.com for any questions or comments about the content on HanumanChalisaLyrics.org.

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